RBI ने नहीं बदला रेपो रेट, ब्याज दर नहीं बदली, लोन महंगे नहीं होंगे 

RBI ने नहीं बदला रेपो रेट, ब्याज दर नहीं बदली, लोन महंगे नहीं होंगे 

नई दिल्ली। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने इस बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। लगातार छह बार रेपो रेट बढ़ाने के बाद आरबीआई ने नए वित्तीय की पहली एमपीसी बैठक में इसे स्थिर रखा है। माना जा रहा था कि आरबीआई रेपो दर में फिर 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने ऐसा नहीं किया है। एमपीसी बैठक की जानकारी देने और इस दौरान लिए गए फैसलों के बारे में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी ने इसे अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यानी ब्याज दर नहीं बदली, लोन महंगे नहीं होंगे और ईएमआई भी नहीं बदलेगी।

फरवरी में हुई एमपीसी बैठक में रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था। उस समय आरबीआई ने कहा था कि खुदरा महंगाई को काबू में रखने और उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। आरबीआई गवर्नर ने गुरुवार की सुबह अपने बयान में कहा कि एमपीसी के सभी सदस्य रेपो रेट में बदलाव नहीं करने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि भारत में बैंकिंग सेक्टर की स्थिति काफी मजबूत है। एफवाय 23 में देश में अनाज उत्पादन में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आरबीआई के अनुसार एफवाय 24 में महंगाई में कमी का अनुमान है। उन्होंने कहा कि  एफवाय 24 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि  एफवाय 23 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.7 प्रतिशत रहा।

खुदरा महंगाई दर 5.2 प्रतिशत रह सकती है
गवर्नर शक्तिकांत ने महंगाई पर बोलते हुए कहा कि एफवाय 24 में खुदरा महंगाई दर 5.2 प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि मीडियम टर्म में महंगाई को तय सीमा के भीतर लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जब तक महंगाई तय सीमा के भीतर नहीं आती है तब तक लड़ाई जारी रहेगी। आरबीआई गवर्नर ने अनुमान जताया कि एफवाय 24 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रह सकती है। दास ने कहा कि हाल के वर्षों में देश में निगरानी व्यवस्था मजबूत हुई है। लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर आरबीआई की नजर बनी हुई है। रुपये की स्थिरता के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशें जारी हैं। आरबीआई गवर्नर ने कंपनियों को कैपिटल बफर बनाने की सलाह दी है। बता दें कि एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा था कि आरबीआई के पास अब इस बात के पर्याप्त कारण मौजूद हैं कि वह अप्रैल की समीक्षा में रेपो दर में कोई वृद्धि न करे। तरलता के मोर्चे पर दिक्कतों के बावजूद केंद्रीय बैंक आगामी एमपीसी बैठक में नरम रुख अख्तियार कर सकता है।

5.5 प्रतिशत के करीब बनी रह सकती है महंगाई
घोष ने कहा कि खुदरा महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पिछले 10 साल में औसत महंगाई दर 5.8 फीसदी रही है। इस बात की बहुत कम संभावना है कि आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी या उससे नीचे आएगी। पिछले दो महीने से खुदरा महंगाई आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक दायरे से ऊपर रही है। फरवरी में खुदरा महंगाई 6.44 फीसदी और जनवरी में 6.52 फीसदी रही थी। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि पिछले दो महीनों से खुदरा महंगाई के 6 फीसदी से ऊपर बने रहने और तरलता के भी तटस्थ हो जाने के बाद अनुमान है कि आरबीआई रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। साथ ही, वह संकेत दे सकता है कि दरों में बढ़ोतरी का दौर खत्म हो चुका है। मई, 2022 से अब तक रेपो दर 2.50 प्रतिशत बढ़ चुकी है।