रक्षाबंधन : शोभन योग में मनेगा भाई—बहन के अटूट प्रेम का पर्व, क्या कहते हैं ग्रह

1. रक्षाबंधन : भाई—बहन के अटूट प्रेम का पर्व

रक्षाबंधन :  भाई—बहन के अटूट प्रेम का पर्व

नई दिल्ली। भारत सहित दुनियाभर में हिंदुओं के प्रमुख पर्व रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त को उत्साह से मनाया जाएगा। भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन पर इस बार ग्रह एवं नक्षत्रों का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग है। शोभन योग से शुभता में वृद्धि होगी। इस दिन पूर्णिमा तिथि का मान शाम 5:31 बजे तक एवं धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 7:38 बजे तक है। चंद्रमा कुंभ राशि में होंगे। 

2. भद्रा का नहीं रहेगा साया, पूरे दिन बंधेगी राखी

भद्रा का नहीं रहेगा साया, पूरे दिन बंधेगी राखी

पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध में भद्रा होती है, लेकिन इस वर्ष पहले दिन यानी 21 अगस्त के शाम 6:10 बजे से पूर्णिमा लग रही है। इसके साथ भद्राकाल की शुरुआत भी हो जाएगी। भद्रा 22 अगस्त के सुबह 6:15 बजे तक रहेगी। सुबह 6:15 बजे से शाम 5:31 बजे के बीच कभी भी राखी बांधी जा सकती है।

3. महाभारत में भी उल्लेख

महाभारत में भी उल्लेख

दरअसल, रक्षाबंधन पर राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूरब दिशा में और बहन का पश्चिम दिशा में होना अति उत्तम माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि बहनें रोली, अक्षत का टीका भाई के माथे पर लगाएं, घी के दीपक से आरती उतारें, उसके बाद मिष्ठान खिलाकर भाई के दाहिने कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय यह मंत्र पढ़ना चाहिए, ताकि इसका शुभ परिणाम मिल सके। इस रक्षा सूत्र का वर्णन महाभारत में भी आता है। मंत्र : ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल। 

4. तब से मन रहा रक्षाबंधन

तब से मन रहा रक्षाबंधन

जानकारों का कहना है कि श्रावण मासशुक्ल पक्ष पूर्णिमा से जुड़े तमाम तथ्य हैं। इंद्र देवता और इंद्राणी की प्रार्थना पर देवताओं के गुरु बृहस्पति ने इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था। धर्म के भाई राजा बलि को लक्ष्मी जी ने रक्षा सूत्र बांधा था।