बजरंग दल पर बवाल: जानिए कैसे और कब बना दल, क्या करता है काम

नई दिल्ली, बजरंग दल इन दिनों पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है। कारण कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस नाम को शामिल करना। कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को लेकर जो घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वह सूबे में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा देगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया बजरंगबली का अपमान
कांग्रेस के इस एलान के चंद घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आ गया। उन्होंने इसे बजरंग बली का अपमान बताया। कहा, 'पहले कांग्रेस ने भगवान राम को ताले में बंद किया और अब वह जय बजरंग बली बोलने वालों को ताले में बंद करना चाहते हैं।'
प्रधानमंत्री के बयान के बाद कहा जाने लगा है कि अब पूरे कर्नाटक चुनाव का फोकस बजरंग बली पर ही रहेगा। ऐसे में आज हम आपको बजरंग दल की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे इस संगठन की स्थापना हुई? कैसे ये देशभर में फैला और इसका कामकाज क्या है।
यात्रा को सुरक्षा देने के लिए हुआ था गठन
विश्व हिंदू परिषद की यात्रा को सुरक्षा देने के लिए हुआ था गठन
अक्टूबर 1984 की बात है। विश्व हिंदू परिषद की पहली धर्म संसद में मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके साथ ही राम जानकी रथयात्रा के नाम से नियमित रूप से शोभा यात्रा निकालने की शुरुआत हुई। इसका मकसद था कि लोगों को हिंदुत्व के बारे में अधिक से अधिक बताया जाए।
कुछ समय में ही इससे युवा और साधु-संत जुड़ते गए। इस यात्रा के खिलाफ कुछ लोगों ने बयान देने शुरू कर दिए। कई धमकियां भी दी गईं। तब विश्व हिंदू परिषद ने यूपी सरकार से यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने का अनुरोध किया।
कांग्रेस की सरकार ने यात्रा को सुरक्षा देने से कर दिया था इनकार
यूपी में तब कांग्रेस की सरकार थी। मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी। एक तरफ विश्व हिंदू परिषद की इस यात्रा को लेकर धमकियां मिल रहीं थीं, तो दूसरी ओर यूपी सरकार ने सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया। तब कुछ युवाओं ने अपनी ओर इस यात्रा को सुरक्षा प्रदान करने का एलान कर दिया।
बजरंग दल नाम कैसे पड़ा
विनय कटियार उन दिनों हिंदूवादी युवा नेताओं में से एक थे। एक अक्टूबर 1984 को बड़ी संख्या में युवा जुटे और इस दल की स्थापना हुई। विनय कटियार ने कहा, प्रभु श्रीराम की सेवा के लिए हमेशा बजरंग बली आगे रहे हैं और इस बार भी प्रभु श्रीराम और माता जानकी की यात्रा की सुरक्षा बजरंग बली के भक्त ही करेंगे। इसी के साथ इस संगठन का नाम बजरंग दल रख दिया गया।
विश्व हिन्दू परिषद ने सौंपी थी कई जिम्मेदारियां
युवा जोश और उत्साह को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने बजरंग दल को कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी। इनमें धार्मिक स्थलों का नवीनीकरण, धार्मिक स्थलों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आंदोलन और संघर्ष करना, गौ संरक्षण, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाना... जैसे दहेज प्रथा, अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव, फिल्मों, विज्ञापन के जरिए फैलाए जाने वाले अश्लीलता का विरोध करना, अवैध घुसपैठ का विरोध करना, धर्म परिवर्तन को रोकने जैसा काम शामिल है।
सनातम धर्म के प्रति लोगों को करते हैं जागरूक
इसके अलावा सनातम धर्म को लेकर युवाओं को जागरुक करने का भी काम बजरंग दल के कार्यकर्ता करते हैं। युवाओं को शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए खेल प्रतियोगिताओं और अखाड़े का भी आयोजन बजरंग दल की तरफ से किया जाता है।
कारसेवा में बढ़चढ़ कर लिया था भाग
कारसेवा में बड़ी संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल हुए
बात है 1992 की। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। इसके बाद तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, एक साल बाद ही प्रतिबंध हटा दिया गया। पिछले साल बजरंग दल ने देशभर के युवाओं को बजरंग दल से जोड़ने की मुहिम शुरू की। संगठन की ओर से 50 लाख युवाओं को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया।
बजरंग दल से जुड़ी खास बातें
बजरंग दल का दावा है कि उसके संगठन के साथ देशभर के 13 लाख से ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं।
दल की तरफ से युवाओं के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है।
बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार हैं। विनय सांसद भी रह चुके हैं।
बजरंग दल पर कई बार लगा है आरोप
बजरंग दल पर कई तरह के आरोप भी लग चुके हैं। आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बजरंग दल के कार्यकर्ता परेशान करते हैं। कई मस्जिदों और चर्च पर हमले के आरोप भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लग चुके हैं। इसके अलावा वैलेंटाइन डे पर प्रेमी जोड़ों को परेशान करने का आरोप भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगता रहा है।