सेना में भर्ती का बदलेगा नियम, अग्निपथ योजना के तहत हर साल होगी 50000 भर्ती, जानिए नियम और वेतन

सेना में भर्ती का बदलेगा नियम, अग्निपथ योजना के तहत हर साल होगी 50000 भर्ती, जानिए नियम और वेतन

नई दिल्ली, मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों की भर्ती के तरीके में एक बड़े बदलाव का ऐलान कर दिया है। टूर ऑफ ड्यूटी सिस्टम के तहत सैनिकों को 4 साल के लिए सेनाओं में भर्ती किया जाएगा और सैनिक सेवा के समाप्त होने पर जवानों को टैक्स फ्री तरीके से 10 लाख रुपए की राशि देने का भी ऐलान किया है और उनकी सेवाओं के लिए सर्टिफिकेट या डिप्लोमा प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। साढ़े 17 साल से 21 साल के युवा लड़के और लड़कियां इसके लिए पात्र होंगे।  इसके लिए 10वीं से लेकर 12वीं तक के छात्र आवेदन कर सकेंगे। इसकी शुरुआत 90 दिन के भीतर हो जाएगी। इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। पहली भर्ती प्रक्रिया में युवाओं को छह महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग का समय भी चार साल में शामिल होगा। 

टूर ऑफ ड्यूटी को 'अग्निपथ' का नाम दिए जाने की संभावना  
सूत्रों के मुताबिक टूर ऑफ ड्यूटी को 'अग्निपथ' का नाम दिए जाने की संभावना है, हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया गया है, वहीं सशस्त्र बलों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। टूर ऑफ ड्यूटी के तहत सरकार का मकसद हर साल तीनों सेवाओं में अधिकारी रैंक से नीचे के लिए लगभग 45,000-50,000 'अग्निवीरों' की भर्ती करना है।

साल में दो बार 6 माह का गेप मिलेगा
नए नियमों के तहत सैनिकों की भर्ती हर साल 2 बार 6 महीने के गेप पर की जाएगी। कार्यकाल के समाप्त होने पर 25 प्रतिशत सैनिकों को वापस सेनाओं में शामिल किया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक 17.5 साल से 21 साल के बीच के उम्मीदवार टूर ऑफ ड्यूटी के लिए आवेदन कर सकेंगे। भर्ती होने वाले सैनिकों को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और वे बाकी के बचे हुए कार्यकाल में अपनी सेवाएं देंगे। वर्तमान में एक सैनिक लगभग 17 से 20 साल की सेवा करता है। नई योजना के तहत शुरुआती वेतन 30,000 रुपए दिया जाएगा। चौथे साल के अंत तक बढ़ कर 40,000 रुपए हो जाएगा।

नई योजना के बाद सेना में भर्ती होने वाले सैनिक के लिए क्या-क्या बदलेगा?
नई योजना में भर्ती की प्रक्रिया पहले की ही तरह रहेगी। चयनित होने के बाद छह महीने के कठिन ट्रेनिंग होगी। इसके बाद तैनाती होगी। नई योजना से सेना में युवाओं को ज्यादा मौके मिलेंगे। अभी सेना की औसत आयु 32 साल है। योजना लागू होने के बाद अगले छह से सात साल में ये घटकर 24 से 26 साल हो जाएगी।

दो साल में नहीं हुई सैनिकों की कोई भर्ती
गौरतलब है कि बीते दो सालों में तीनों सेनाओं के लिए सैनिकों की लगभग कोई भर्ती नहीं हुई है। 28 मार्च को संसद में रक्षा मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार सेना में अन्य रैंक के जूनियर कमीशंड अधिकारियों के लिए एक लाख से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं।

सेवा मुक्त होने के बाद सरकारी नौकरियों में वरीयता 
जिन जवानों को सेवा से मुक्त किया जाएगा, उन्हें सशस्त्र बल व अन्य सरकारी नौकरियों में वरीयता मिलेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि चार साल के सेवाएं देने वाले अग्निवीर को कई राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों में आने वाली नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। रक्षा मंत्री के एलान के बाद राज्यों के ओर से इस तरह की घोषणाएं भी होने लगी हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस में अग्निवीर जवानों को भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।  

चार साल बाद 75 फीसदी की सेवाएं समाप्त, 25 फीसदी को रेगुलर काडर में जगह मिलेगी
चार साल के सेवाकाल के बाद 75 फीसदी जवानों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। अधिकतम 25 फीसदी को रेगुलर काडर में जगह मिलेगी। इसके लिए सेवाकाल पूरा होने के बाद ऐच्छिक आधार पर रेगुलर काडर के लिए आवेदन करना होगा। 

करीब 11.71 लाख रुपये टैक्स फ्री सेवानिधि मिलेगी
हर अग्निवीर को भर्ती के साल 30 हजार महीने तनख्वाह मिलेगी। इसमें से 70 फीसदी यानी 21 हजार रुपये उसे दिए जाएंगे। बाकी 30 फीसदी यानी नौ हजार रुपये अग्निवीर कॉर्प्स फंड में जमा होंगे। इस फंड में इतनी ही राशि सरकार भी डालेगी। दूसरे साल अग्निवीर की तनख्वाह बढ़कर 33 हजार, तीसरे साल 36.5 हजार तो चौथे साल 40 हजार रुपये हो जाएगी। चार साल में उसकी कुल बचत करीब 5.02 लाख रुपये होगी। वहीं सरकार की ओर से भी इतनी ही रकम जमा की जाएगी। नौकरी पूरी होने के बाद उसे ये रकम ब्याज सहित मिलेगी। जो करीब 11.71 लाख रुपये होगी। ये रकम टैक्स फ्री होगी। 
योजना के तहत इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। 

जानें कितना मिलेगा वेतन      
साल   महीनेवार वेतन   कैश इन हैंड 
प्रथम वर्ष    30000       21000 
दूसरे वर्ष    33000       23100
तीसरे वर्ष            36000      25580
चौथे वर्ष   40000 28000

वन रैक वन पेंशन से बचने के लिए ये स्कीम लाई गई है?
इस सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस स्कीम को संदेह की नजर से नहीं देखना चाहिए। इस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। सेना में यूथफुलनेश हो इस बात को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है।  

इससे सरकार को कितनी बचत होगी?
इस सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों को हम कभी भी बचत के नजरिए से नहीं देखते हैं। इस स्कीम के लिए और अधिक जितना भी खर्च करने की आवश्यकता होगी हमारी सरकार खर्च करने के लिए तैयार है। हमारा लक्ष्य यही है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा होनी चाहिए खर्च का कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता है।