आज भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव, बन रहा खास संयोग, जानिए पूजा की विधि और समय

आज भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव, बन रहा खास संयोग, जानिए पूजा की विधि और समय

भोपाल, भगवान श्रीकृष्ण ने भादौ माह में ही रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था। 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा। देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है। जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं। द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था।

जिस तरह से श्रावण मास में भगवान शिव की भक्ति होती है, उसी तरह से भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण की आराधना का महत्व है। कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त गण पूरा दिन उपवास करते हैं। रात के 12 बजे तक भगवान श्री कृष्ण जी का जागरण, भजन, पूजन-अर्चना करते हैं। इस वर्ष  भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाए।

ज्योतिषाचार्य शरद द्विवेदी के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3102 ईसा पूर्व में हुआ था। 3228 ईसा पूर्व कान्हा ने इस लोक को छोड़ भी दिया। वैसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिन और मृत्यु के दिन के बारे के मत हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट पर होगा। अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इस हिसाब से व्रत के लिए उदया तिथि को मानते हुए 30 अगस्त को जन्माष्टमी होगी। 

रात को 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त

पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात को 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। भादो माह में ही भगवान श्रीकृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था। 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा। देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है। जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं और इसलिए ये संयोग और बेहतर है। द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था।

जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाने से कान्हा की कृपा बनी रहती है

1. मेष- इस दिन गाय को मीठी वस्तुएं खिलाकर श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करें।

2. वृष- इस राशि वाले लोग दूध व दही से श्रीकृष्णजी का भोग लगाएं। रसगुल्ले का भोग भी चढ़ाएं।

3. मिथुन- गाय को हरी घास या पालक खिलाएं और मिश्री का भोग लगाकर श्रीकृष्णजी का पूजन करें।

4. कर्क- जन्म अष्टमी के दिन माखन मिश्री मिलाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करें।

5. सिंह- जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण भगवान को पंच मेवा का भोग लगाकर पूजन करें। बेल का फल भी अर्पित कर सकते हैं।

6. कन्या- इस राशि के लोग केसर मिश्रित दूध का भोग लगाकर श्रीकृष्णजी को अर्पित करें और गाय को रोटी खिलाएं।

7. तुला- भगवान श्रीकृष्ण को फलों का भोग लगाकर पूजन करें।और कलाकंद मिठाई का भोग लगाएं।

8. वृश्चिक- इस राशि के लोग मिश्री और  मावा भरकर गाय को खिलाएं और केसरिया चावलों का भगवान को भोग लगाएं।

9. धनु- जन्माष्टमी के दिन बादाम के  हलवे से केसर मिलाकर  वासुदेव को भोग लगाकर पूजन करें।

10. मकर- खसकस के दानों से मिलाकर धनियाब की पंजीरी श्री कृष्णजी का भोग लगाकर पूजन व अर्चना करें।

11. कुंभ- कृष्ण जी के पास  गुलाब की धूप जलाएं। बर्फी का भोग चढ़ाएं।

12. मीन- मीन राशि वाले प्रभु श्रीकृष्ण को जलेबी या केले का भोग लगाएं, हर समस्या दूर हो जाएगी।