वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना: इस वर्ष 56 हजार वरिष्ठजनों को मिलेगा तीर्थयात्रा का अवसर

23 जुलाई को जयपुर से रामेश्वरम्-मदुरई के लिए रवाना होगी ट्रेन
अगले चरण के लिए 10 अगस्त तक किए जा सकेंगे ऑनलाइन आवेदन
श्रद्धा, सेवा और सम्मान की यात्रा, वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना
जयपुर। बुजुर्ग समाज का वह स्तंभ होते हैं जिनके अनुभव और ज्ञान से एक सभ्य और सशक्त राष्ट्र की नींव रखी जाती है। जीवन की संध्या बेला में उन्हें मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक सुकून की अनुभूति हो सके, इसी भावना के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा ’वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना’ संचालित की जा रही है जो सेवा और सम्मान का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह योजना उस ’ऋण’ को चुकाने का प्रयास है जो हर पीढ़ी अपने पूर्वजों के प्रति महसूस करती है।
यह योजना राजस्थान के उन वरिष्ठ नागरिकों को एक बार निःशुल्क तीर्थ यात्रा का अवसर प्रदान करती है, जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है और आयकरदाता नहीं है। योजना के तहत सरकार न केवल उनकी यात्रा का समस्त खर्च वहन करती है बल्कि सुरक्षित, सम्मानजनक और सुविधासम्पन्न यात्रा भी सुनिश्चित करती है।
56 हजार वरिष्ठजन को मिलेगा तीर्थयात्रा का अवसर
राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप इस बार कुल 56 हजार वरिष्ठजन को तीर्थयात्रा का अवसर मिलेगा। इनमें से 50 हजार को एसी ट्रेन व 6 हजार को हवाई जहाज से यात्रा कराई जाएगी। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने गत 6 जून को वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना 2025-26 का फीता काटकर शुभारंभ किया था। उन्होंने योजना के तहत प्रथम वातानुकूलित ‘राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन‘ को दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस एसी ट्रेन से वरिष्ठ नागरिकों ने रामेश्वरम एवं मदुरई के तीर्थ स्थलों की यात्रा की। 23 जुलाई (बुधवार) को भी एक अन्य ट्रेन जयपुर से रामेश्वरम्-मदुरई के लिए रवाना हो रही है।
तीर्थयात्रा के लिए ऑनलाइन किया जा सकेगा आवेदन
योजना के अगले चरण के तहत देवस्थान विभाग ने फिर से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इसके तहत विभाग की वेबसाइट पर 10 अगस्त तक आवेदन किया जा सकेगा। जिस यात्री का चयन विगत वर्षों में हो गया और वे स्वेच्छा से यात्रा पर नहीं गए, उन्हें इस बार शामिल नहीं किया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन के पश्चात जिला स्तर पर गठित समिति पात्र लोगों का चयन करेगी। यात्रा के लिए 100 प्रतिशत अतिरिक्त यात्रियों की प्रतीक्षा सूची भी तैयार की जाएगी। चुने गए पात्र लोगों को यात्रा पर भेजा जाएगा। एक ट्रेन में 800 वरिष्ठ जन यात्रा कर सकेंगे।
15 रेलमार्गों द्वारा लगभग 40 तीर्थस्थलों के हो सकेंगे दर्शन
इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को हवाई यात्रा के माध्यम से नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करवाए जाएंगे। वहीं रेल यात्रा के द्वारा 15 रेलमार्गों के जरिए लगभग 40 तीर्थस्थलों के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। इस बार स्वर्ण मंदिर के अतिरिक्त सिख धर्म के अन्य तीर्थ स्थलों श्री हजूर साहिब (महाराष्ट्र) व पटना साहिब (बिहार) को भी शामिल किया गया है। वरिष्ठजन हरिद्धार, ऋषिकेश, अयोध्या, वाराणसी, सारनाथ, सम्मेदशिखर, पावापुरी, मथुरा, वृंदावन, बरसाना, आगरा, द्वारिकापुरी, नागेश्वर, सोमनाथ, तिरूपति, पदमावती, कामख्या, गुवाहाटी, गंगासागर, कोलकाता, जगन्नाथपुरी, कोणार्क, रामेश्वरम, मदुरई, वैष्णोदेवी, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, महाकालेश्वर, उज्जैन-ओंकारेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, घृष्णेश्वर, एलोरा, बिहार शरीफ, पटना साहिब, श्री हजूर साहिब नांदेड़ तथा गोवा के मंदिर व अन्य स्थल चर्च आदि की यात्रा कर सकेंगे।
बुजुर्गों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का भी रखा जाता है विशेष ध्यान
यात्रा के दौरान बुजुर्गों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और सहयात्रियों के साथ गरिमामयी व्यवहार का विशेष ध्यान रखा जाता है। ट्रेन में डॉक्टर तथा पैरामेडिकल स्टाफ की सुविधा भी मिलती है। इसके अलावा सभी यात्रियों के ठहरने के लिए होटल, ट्रांसपोर्ट व मंदिर दर्शन की सुविधा के साथ साथ यात्रियों के लिए सुबह-शाम के खाने व नाश्ते की व्यवस्था भी देवस्थान विभाग की ओर से उपलब्ध करवाई जाती है। तीर्थयात्रा के लिए ले जाने वाली ट्रेनों के डिब्बों पर राजस्थानी लोक नृत्य, लोक कलाएं, तीज त्यौंहार के साथ ही राजस्थान के मंदिर, दुर्ग, अन्य पर्यटक स्थल व अभयारण्य भी दर्शाए गए हैं। इनके माध्यम से राजस्थान की कला और संस्कृति की झलक मिलती है।
वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना का सबसे सकारात्मक पक्ष यह है कि यह सरकार की संवेदनशीलता, जवाबदेही और सामाजिक सरोकार को दर्शाती है। राजस्थान सरकार ने इस योजना को केवल एक ‘यात्रा’ तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे एक भावनात्मक और आत्मिक पुनरुत्थान की प्रक्रिया बना दिया है। यह न केवल राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों का परिचायक है बल्कि सामाजिक संस्कारों और संस्कृति को भी पुनर्जीवित करती है।