CEO प्रेरणा सिंह ने , ढाई साल की बेटी का आंगनवाड़ी में कराया दाखिला
सतना
मध्य प्रदेश के सतना जिले में पदस्त सीईओ प्रेरणा सिंह ने अपनी बेटी का दाखिला आंगनवाड़ी केंद्र में करा कर मिसाल पेश की है. वह रामनगर में सीईओ के पद पर कार्यरत हैं. इससे पहले प्रदेश में कलेक्टर पति-पत्नी ने अपने बच्चे का दाखिला आंगनवाड़ी में करा कर लोगों को प्रेरित किया था. खैर, अच्छी एजुकेशन की दौड़ के बीच प्रदेश की सीईओ ने अपनी ढाई साल की अपनी बेटी का दाखिला आंगनवाड़ी केंद्र में करवाकर सरकारी स्कूलों से आम जनता के मोह भंग होने के बीच एक संदेश देने का काम किया है.
ऐसे हुई थी शुरुआत
मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों के गिरते शिक्षा के स्तर व शिक्षकों की कमी के बीच तत्कालिक खंडवा कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल और उनके पति (कटनी कलेक्टर पंकज जैन) ने पहली बार अपनी 14 माह की बेटी पंखुरी का दाखिला आंगनवाड़ी में कराया था, जिसके बाद राज्यपाल ने पत्र लिखकर उनकी प्रशंसा की थी. इसके बाद सतना जिले के रामनगर में पदस्थ जनपद सीईओ प्रेरणा सिंह ने अपनी ढाई साल की बेटी मणिकर्णिका सिंह का दाखिला आंगनवाड़ी केंद्र में करवा कर आम जनता के बीच लोकसेवा की मिसाल पेश की है.
प्रेरणा को इस बात ने किया प्रेरित
दरअसल, जनपद पंचायत सीईओ प्रेरणा सिंह बाल दिवस के दिन जनपद पंचायत में हुए कार्यक्रम पर आंगनवाड़ी इटमा कला में पढ़ने वाले बच्चों की शानदार प्रस्तुतियों से प्रभावित हो गईं और उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला कराने का फैसला कर लिया. सीईओ प्रेरणा सिंह दाखिले की फॉर्मेलिटी पूरी कर बेटी मणिकर्णिका सिंह को आंगनवाड़ी लेकर पहुंच गईं. जबकि मणिकर्णिका सिंह हर रोज आम बच्चों की तरह केंद्र आती है और बच्चों के साथ ना सिर्फ पढ़ती है बल्कि खेलती और खाती भी है. यकीनन सीईओ ने अपनी बेटी का दाखिला आंगनवाड़ी केंद्र में करवाकर ना सिर्फ शिक्षा व्यवस्था बल्कि मिडडे मील व्यवस्था को बेहतर करने का काम किया है.
सीईओ ने कही ये बात
सीईओ प्रेरणा सिंह का कहना है कि जब किसी सरकारी अफसर के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, तब स्कूलों के बिगड़े हालत और पढ़ाई के स्तर में खुद ब खुद सुधार हो जाता है. शिक्षक समय से स्कूल आते हैं और संजीदगी से कक्षा में पहुंचते है और पढ़ाते भी हैं. यदि देश में शिक्षा के स्तर को सुधारना है तो अधिकारियों को अपने बच्चों का एडमिशन निजी स्कूलों के बजाए इन केंद्रों में कराना होगा.