CERT के कारण अटक गई जांच, ATS की ली जा रही मदद: ई-टेंडरिंग घोटाला  

CERT के कारण अटक गई जांच, ATS की ली जा रही मदद: ई-टेंडरिंग घोटाला  
भोपाल  प्रदेश में एक हजार करोड़ से अधिक के ई-टेंडर घोटाले की जांच केंद्र की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम (सीईआरटी) के कारण अटक गई है। इस मामले में  में जब्त कंप्यूटर की तीन हार्ड डिस्क की इमेज सीईआरटी को भेजी जा चुकी है, लेकिन वहां से डेढ़ महीने हो जाने के बाद भी अब तक रिपोर्ट नहीं आ सकी। हार्ड डिस्क से डेटा रिट्रीव नहीं हो सकने के कारण घोटाले की जांच अधर में अटकी हुई है। हार्ड डिस्क का डेटा मिलने के बाद ही ईओडब्ल्यू की जांच आगे बढ़ेगी। मध्यप्रदेश में जारी ई-टेंडर में उसकी शर्तों और राशि में फेरबदल करने का बड़ा घोटाला उजागर हुआ था। ई-टेंडर में घोटाला सिर्फ जल निगम की नल-जल योजना में ही नहीं, बल्कि पीएचई के दूसरे कार्यों, लोक निर्माण विभाग और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम सहित दूसरे कई विभागों में भी किया गया है। ईओडब्ल्यू ने एसआईटी बनाकर एमपीएसईडीसी के डेटा सेंटर से उन कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त की थी।  जिससे यह पता चला था कि ई-टेंडर में छेड़छाड़ की गई थी। एमपीएसईडीसी के डेटा सेंटर से जब्त हार्ड डिस्क से ईओडब्ल्यू को 9 टेंडर से संबंधित डेटा रिट्रीव करना है। सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेब (सीएफएसएल) और रीजनल फोरेंसिक साइंस लेब ने डेटा रिट्रीव करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम (सीईआरटी) से संपर्क किया था। सीईआरटी ने भी डेटा रिट्रीव करने के लिए पहले कई दिनों तक तो सहमति नहीं दी, बाद में टीम इमेज लेकर गई, लेकिन अब तक उसकी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को नहीं दी गई है। जब्त हार्ड डिस्क से जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के तीन, सिंचाई विभाग के दो और राज्य सड़क विकास निगम के एक टेंडर से संबंधित डेटा रिट्रीव करना है। इस मामले की जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ी है। वहीं, टेंडर से संबंधित विभागों से ईओडब्ल्यू ने सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं, इनका परीक्षण किया जा रहा है। इस मामले में एटीएस की भी मदद ली जा रही है। डाटा रिट्रीव करने के लिए कई बार एसटीएफ भोपाल के एसपी प्रदीप मंडलोई की मदद ली गई है। प्रदेश पुलिस में साबयर एक्सपर्टस की भी इसमें मदद ली गई है।