सवर्णों के समर्थन में पूरा मुरैना बंद

awdhesh dandotia मुरैना। मुरैना बंद के दौरान नगर भर के व्यापारियों ने सवर्णो के पक्ष में अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा। हालांकि जिला प्रशासन ने पूर्व से ही शहर भर में धारा 144 लागू की थी जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटित न हो सके। धारा 144 के चलते नगर के प्रत्येक बाजार व प्रमुख मार्गाे पर भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती रही। ऐसा पहली बार देखने को मिला जब बंद के दौरान बंद कराने वाले संगठन ने किसी भी प्रकार की रैली व आंदोलन नगर के बाजारों में नहीं किया और पूर्ण सहमति के साथ व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को काले कानून के विरोध में बंद रखा। मुरैना बंद के दौरान एससी-एसटी एक्ट के विरोध मुरैना के व्यापारियों, बस ऑपरेटरों, ऑटो रिक्शा, पेट्रोल पम्प, कॉचिंग स्कूल सभी ने स्वेच्छा से बंद का समर्थन किया। गुरूवार को शहर के किसी भी बाजार में एक भी दुकान खुली नजर नहीं आई। यहां तक कि मेडीकल स्टोर भी बंद रहे। आने जाने वाले यात्रियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि बस ऑपरेटरों ने भी खुलकर बंद का समर्थन किया। वहीं शहर में चलने वाले ऑटो और ई-रिक्शा भी पूर्णत: बंद रहे। शहर में धारा 144 लागू रही। अधिकारी लगातार शहर का भ्रमण कर रहे थे। सवर्णों के पूर्णत: बंद को इसलिए भी सफल माना गया है कि किसी ने भी बाजार बंद कराने के लिए बल प्रयोग नहीं किया ना ही युवाओं ने हुड़दंग मचाया और ना ही शहर में कोई रैली निकाली गई। सवर्णों के समर्थन में अधिकांश लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर विरोध किया। यह पहला अवसर है कि बिना किसी दबाव मुरैना पूरी तरह बंद रहा। जगह-जगह पुलिस बल तैनात नजर आया। समाचार लिखे जाने तक किसी भी तरह की अप्रिय घटना की जानकारी नहीं मिली। पुलिस की रही कड़ी निगरानी प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाये जाने के बाद भारी मात्रा में पुलिस बल की आमद बंद के दौरान नगर के प्रमुख चौराहो व प्रमुख मार्गो पर रही। बंद केचलते सुबह से ही कलेक्टर मुरैना भरत यादव एवं पुलिस अधीक्षक अमित सांघी निरंतर नगर भर का निरीक्षण करते रहे। वहीं जौरा, सबलगढ़, विजयपुर, अम्बाह पोरसा में भी भारी तादात में पुलिस बल तैनात रहा और यहां भी सवर्णों के समर्थन में पूरी तरह व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा। प्रशासन ने विभिन्न टीमें बनाकर जिम्मेदारियां बांटी थीं और सोशल मीडिया पर भी निरंतर निगरानी रखी जा रही थी। स्टेशन पर रही कड़ी चौकसी पूर्व में दलित आंदोलन के दौरान रेलवे स्टेशन पर काफी उत्पात मचा जिससे रेलवे को लाखों रूपये की क्षति पहुंची थी। इसके चलते सवर्ण व पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा द्वारा मुरैना बंद के दौरान रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये। किसी भी यात्री को रेलवे प्लेटफार्म पर अधिक देर तक नहीं रूकने दिया। आरपीएफ व स्पेशल फोर्स की टीम निरंतर रेलवे क्षेत्र में भ्रमण करती रहीं। वहीं कलेक्टर, एसपी भी रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के इंतजामों का निरीक्षण करते रहे।  गायब नजर आये राजनेता  जहां एक ओर संपूर्ण सवर्ण व पिछड़ा वर्ग के आव्हान पर नगर भर के समस्त व्यापारी व दुकानदारों ने अपना भरपूर समर्थन देते हुये संपूर्ण बाजार को बंद रखा वहीं इस आंदोलन से एक आर पुन: राजनैतिक संगठनों के वरिष्ठ नेता गायब नजर आये। ज्यादातर राजनेता आंदोलन के दौरान ज़मीदोज रहे। उन्हें इस बात का डर था कि कहीं सवर्ण आंदोलनकर्ता उन्हेंं इस बंद में शामिल न करें। एससी-एसटी एक्ट के विरोध में ऐतिहासिक बंद रहा जौरा सर्व सवर्ण समाज एवं अभिभावकों ने दिया समर्थन मुरैना/जौरा। एससी, एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज, ओबीसी, सर्व समाज, व्यापारियों आदि ने दिये गये जबरदस्त समर्थन के चलते जौरा नगर ऐतिहासिक बंद रहा। न्यायालय में अपना कामकाज बंद कर अभिभाषकों ने बंद को समर्थन दिया। बंद को देखते हुए स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस के अफसर सर्तकता बरतते देखे गये। आरक्षण के विरोध में 6 सितम्बर के बंद के आव्हान पर जौरा में भी सर्व सवर्ण समाज सहित अन्य संगठनों के आव्हान पर बाजार अभूतपूर्व बंद रहे। प्रात: 7 बजे से बंद को देखते हुऐ प्रशासन व पुलिस के अफसर लगातार नगर के मुख्य बाजारों सदर बाजार, नया बाजार, पचबीघा, चन्द्रशेखर आजाद रोड, अस्पताल रोड एवं अलापुर, इस्लामपुरा, एम.एस.रोड, रूनीपुर रोड आदि स्थानों पर घूमते रहे। बाजार बंद के दौरान अहम बात यह देखी गई कि व्यापारियों, दुकानदारों द्वारा आरक्षण के विरूद्ध में स्वेच्छा से ही अपना-अपना कारोबार बंद रखा शाम तक पूरे बाजार बंद रहे। उधर नगर के अभिभाषकों द्वारा बाजार बंद को समर्थन देकर संसदीय विधेयक को निरस्त करने का ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में लिखा है कि एससी, एसटी में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायिक व्यवस्थात्मक आदेश को अहम बनाने की दृष्टि से भारतीय संसद द्वारा एससी, एसटी एक्ट के प्रावधानों से समाज में विसंगतियां उत्पन्न होकर हरिजन ओर सवर्ण के मध्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसके लिये विधि व्यवस्था ही उत्तरदायी साबित हो रही है। पूर्व में प्रचलित एससी, एसटी एक्ट में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विधायी परिवर्तन नहीं किया गया था। जिसके विरूद्ध संसद में पारित विधेयक की वैधानिक रूप से कोई आवश्यकता ही प्रतीत नही होती थी। इसलिये देशभर के बुद्धिजीवी वर्ग के विचार विभाजित हो रहे है। एकमत सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था के पक्ष में समर्थन देकर मुकम्मल भारत बंद के समर्थन में शांतिपूर्व तरीके से यह ज्ञापन दे रहे है कि संसदीय विधेयक को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। ज्ञापन के दौरान अभिभाषक संघ के अध्यक्ष नेतराम त्यागी, एडवोकेट अरविंद पाराशर एवं करणी सेना अध्यक्ष निगम सिकरवार, बजरंग दल के अजय सिंह सिकरवार, क्षत्रिय महासभा के जितेन्द्र सिंह सिकरवार, अध्यक्ष युवा ब्राम्हण सभा राजीव पाराशर, अजय गौड, दीपक सिंह, राजेश सिंघल, दीपक सिंह आदि सर्व समाज, सवर्ण समाज के लोग थे। इस दौरान एसडीएम विनोद सिंह, प्रभारी एसडीओपी सुधीर सिंह कुशवाह, तहसीलदार श्रीमती शुभृता त्रिपाठी, टीआई जौरा डीएस सेंगर, बागचीनी केएन त्रिपाठी, नायब तहसीलदार सुनील शर्मा, मनोज धाकड, बीआरसी शिशुपाल सिंह, बीईओ बीके शर्मा आदि अधिकारी थे। मेडीकल स्टोर तक रहे बंद आरक्षण के विरोध में सर्व समाज एवं ओबीएस वर्ग के नागरिकों विशेषकर युवाओं में बेहद आक्रोश देखा गया। जिसके चलते चाय, पान, हलवाईयों की दुकाने तो बंद थी ही वहीं नाराज मेडीकल स्टोर के संचालकों ने भी अपने मेडीकल बंद रख एससी, एसटी एक्ट का विरोध किया। बंद के दौरान शांति प्रिय माहौल बनाऐ रखने को लेकर प्रशासन एवं पुलिस अफसरों द्वारा सभी व्यापारियों, नागरिकों को धन्यवाद दिया। एससी एसटी एक्ट के विरोध में झुण्डपुरा बंद एससी एसटी एक्ट के विरोध में झुण्डपुरा पूरी तरह से शांतिपूर्ण बंद रहा। गुरूवार को व्यापारियों, दुकानदारों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान दुकान स्वच्छा से ही नही खेाली। झुण्डपुरा बस स्टेण्ड, पसार, सदर बाजार पूरी तरह से बंद रहे। नगर में स्कूल कॉलेज एवं कोचिंग भी पूरी तरह से बंद रहे। वहीं नगर के बस संचालकों ने भी अपनी बसे बंद रखी। नगर में पुलिस बल एवं राजस्व टीम ने लगातार नगर का भ्रमण किया जिससे कोई अप्रिय घटना न घटे। इस बंद में कोई संस्था या संगठन समाने नही आया है ना ही रैली निकाली गई। दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी। एससी एसटी विरोध में दिमनी में सवर्णों ने किया प्रदर्शन मुरैना/दिमनी। ग्राम पंचायत दिमनी में एससी एसटी आरक्षण के मुद्दे को लेकर क्षेत्र के ग्रामीण सवर्ण एवं ओबीसी छात्रों ने जमकर नारे बाजी करते हुए नगर की दुकाने बंद कराई एवं पुलिस से हुई झूमाझटकी स्थिति बिगडते देख थाना प्रभारी ने मुरैना को सूचना दी तो एसडीओपी मुरैना से पुलिस बल लेकर एकत्रित हुआ। जानकारी के अनुसार विगत रोज 6 सितम्बर गुरूवार को दिमनी विधानसभा में गांव ही नही अपितु आस पास की पंचायतों से एक सैंकडा से अधिक बेरोजगार छात्रों ने आक्रोशित रूप में भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी ही नही यहां तक कि शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री व ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद के पोस्टर फाडे और आग होली खेली। एससी एसटी एक्ट के आरक्षण से सवर्ण एवं ओबीसी वर्ग में सरकार के प्रति बहुत उबाल है। आरक्षण के विरोध में गांव की सभी दुकाने बंद करा दी उसके बाद अम्बाह मुरैना रोड पर प्रदर्शन करने लगे इससे नाराज होकर दिमनी थाना प्रभारी अनिल भारद्वाज उन्हें समझाने की हिदायत देने लगे तो प्रदर्शनकारी आग बबूला होकर झूमा झटकी पर उतर आऐ कम मात्रा में पुलिस होने पर मुरैना से काफी फोर्स मंगाया, कहीं अप्रिय घटना न होते हुए शांति प्रिय छात्रों का आंदोलन सफल रहा।