MP चुनाव: 46 बाद यह सीट हारी बीजेपी

MP चुनाव: 46 बाद यह सीट हारी बीजेपी

विदिशा
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे। छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सरकार का हाथ से जाना, मध्य प्रदेश में दूसरे नंबर की पार्टी बनना और राजस्थान में भी सत्ता गंवाना बीजेपी के लिए आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अच्छे संकेत नहीं हैं। बात अगर सत्ता विरोधी लहर तक रहे तो ठीक है लेकिन बीजेपी ने एमपी में ऐसी सीट भी खोई है जिसे उसके लिए सबसे सुरक्षित माना जाता था। एमपी की जिस विदिशा सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ चुके हैं, वह भी इस चुनाव में बीजेपी से कांग्रेस ने छीन ली है।


विदिशा में 46 साल बाद हारी बीजेपी
विदिशा एमपी में बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट्स में से एक थी। साल 1977 से यहां लगातार जीतती आ रही बीजेपी के विजय रथ पर कांग्रेस के शशांक श्रीकिशन भार्गव पर रोक लगा दी। शशांक ने 46 साल बाद कांग्रेस को विदिशा सीट वापस दिलाई है। उन्होंने बीजेपी के मुकेश टंडन को 15,000 वोटों के मार्जिन से हरा दिया। साल 1977 के बाद से बीजेपी यहां कोई चुनाव नहीं हारी थी। जबकि कांग्रेस को विदिशा में आखिरी बार 1972 के चुनावों में जीत मिली थी।

शिवराज सिंह चौहान लड़ चुके हैं चुनाव
विदिशा की सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चुनाव लड़ चुके हैं। साल 2013 के विधानसभा चुनावों में चौहान विदिशा और बुधनी से मैदान में उतरे थे। दोनों ही सीटें जीतने के बाद उन्होंने विदिशा की सीट छोड़ दी। यहां उन्होंने मुकेश टंडन पर भरोसा जताया और उपचुनाव में उन्हें बीजेपी की ओर से मैदान में उतारा। तब टंडन ने शशांक श्रीकिशन भार्गव को हरा दिया था। कांग्रेस ने शशांक को चौथी बार विदिशा से चुनावी मैदान में उतारा था।

बिना किसी बड़े नेता की मदद के शशांक ने भेदा बीजेपी का किला
विदिशा सिर्फ विधानसभा के लिए ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनावों के लिए भी बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विदिशा से ही सांसद हैं। इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी लोकसभा में विदिशा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हालिया विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने विदिशा पर काफी ध्यान दिया था।

चुनाव प्रचार खत्म होने के दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां रैली की थी। वहीं शिवराज सिंह चौहान भी मुकेश टंडन के पक्ष में यहां रोड शो और रैली कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार ने अकेले बीजेपी के इस किले को भेदा है। उनके लिए पार्टी के किसी बड़े नेता ने यहां प्रचार नहीं किया था।