MP में कमलनाथ को कमान, ऐलान अभी बाकी

MP में कमलनाथ को कमान, ऐलान अभी बाकी

भोपाल 
संजय गांधी के दोस्त कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना है लेकिन कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक उनके नाम की औपचारिक घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे। केंद्रीय पर्यवेक्षक एके एंटनी की मौजूदगी में हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक में कमलनाथ के अलावा दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपक बावरिया और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। 


राहुल पर विधायकों ने छोड़ा फैसला 
सूत्रों के मुताबिक पर्यवेक्षक ने विधायकों से उनकी राय जानी। बाद में सर्वसम्मति से फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया। एंटनी राहुल को विधायकों की राय बताएंगे। माना जा रहा है कि हालात को देखते हुए देर रात या गुरुवार सुबह कमलनाथ के नाम का औपचारिक ऐलान हो जाएगा। 72 साल के कमलनाथ प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का 1980 से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह अब तक 9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 

कमलनाथ को राहुल गांधी ने गत 1 मई को मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी थी। कमलनाथ की अगुआई में ही कांग्रेस बीजेपी के 15 साल के शासन को हटाने में कामयाब हुई है। बता दें कि मंगलवार को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। पार्टी को कुल 114 सीटें ही हासिल हुई हैं लेकिन बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बिना शर्त समर्थन देकर उसका रास्ता आसान कर दिया। बाद में 4 निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के समर्थन में आ गए। 

ज्योतिरादित्य ने खुद कमलनाथ का नाम बढ़ाया 
बुधवार शाम 4 बजे एके एंटनी की मौजूदगी में कांग्रेस के विधायकों की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद कमलनाथ का नाम आगे बढ़ाया। अन्य नेताओं ने उनके नाम का समर्थन किया। बाद में वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने यह प्रस्ताव रखा कि विधायक दल का नेता चुनने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ा जाए। एंटनी यह प्रस्ताव लेकर दिल्ली जाएंगे, वहीं पर आधिकारिक घोषणा होगी। 

विधायकों की बैठक के बाद कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, 'सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है कि मुख्यमंत्री का निर्णय राहुल गांधी करेंगे।' इस दौरान कमलनाथ ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मौजूद सदस्यों को संबोधित भी किया। 


इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, 'कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ आज हुई बैठक के पश्चात, सर्व सहमति से यह फैसला लिया गया है कि मध्य प्रदेश में सरकार के नेतृत्व का निर्णय पार्टी की आलाकमान तय करेगी। हम उनके निर्णय को सर माथे रख कर उसका पालन करेंगे।'


इंदिरा गांधी मानती थीं तीसरा बेटा 
उल्लेखनीय है कि कमलनाथ स्वर्गीय संजय गांधी के करीबी दोस्त थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं। शायद यही वजह रही होगी कि 1980 में संजय गांधी ने कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली छिंदवाड़ा सीट से कमलनाथ को चुनाव लड़वाया था। तब से कमलनाथ छिंदवाड़ा के ही होकर रह गए। वह अब तक 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं। सिर्फ 1997 के उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन कुछ महीने बाद ही वह फिर जीत गए थे। 

1993 में अर्जुन सिंह ने रास्ता रोका था 
केंद्र सरकार में संसदीय कार्य और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके कमलनाथ 1993 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन तब अर्जुन सिंह ने उनका रास्ता रोक दिया था। उस समय दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने थे लेकिन दिग्विजय ने कमलनाथ से हमेशा बनाकर रखी। अभी कुछ दिन पहले ही दिग्विजय ने कहा भी था कि मैं कमलनाथजी को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री देखना चाहता हूं। वह लगातार कमलनाथ की मदद कर रहे थे। 


इंदिरा से राहुल तक सबका जीता भरोसा
राहुल ने जब कमलनाथ को राज्य की कमान सौंपी थी तभी यह साफ हो गया था कि 15 साल से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस यदि सत्ता में लौटी तो कमलनाथ ही मुखिया होंगे। यह भी संयोग है कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेता विधानसभा चुनाव हार गए हैं। जो हालात हैं उनमें कमलनाथ से बेहतर नाम और कोई नहीं है। 72 साल के कमलनाथ के सामने बहुत बड़ी चुनौती लगभग कंगाल हो चुके राज्य को पटरी पर लाने की होगी। साथ ही उन्हें पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी से भी जूझना होगा।