आचार संहिता की उड़ाई धज्जियां, चहेती फर्म को दे दिया टेंडर

आचार संहिता की उड़ाई धज्जियां, चहेती फर्म को दे दिया टेंडर
lokesh chourasia छतरपुर। पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास विभाग के तहत संचालित संभागीय प्रषिक्षण केन्द्र नौगांव के प्राचार्य आउटसोर्स कर्मचारियों के तहतों पर कुठाराघात करने में लगे हुए हैं। प्राचार्य श्री अग्रवाल ने भ्रष्टाचार के वशिभूत होकर सागर की एक ब्लेक लिस्टिड फर्म को नियम विरूद्ध तरीके से आउटसोर्स का टेंडर अवॉर्ड कर दिया। उन्होंने आदर्श आचारण संहिता की परवाह भी नहीं की और 10 अक्टूबर को टेंडर अवॉर्ड कर दिया। जबकि पूरे मध्यप्रदेश में 6 अक्टूबर से आदर्श आचरण संहिता लागू हो गई है आचार संहिता के दौरान किसी भी प्रकार का नया काम स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। [caption id="attachment_6" align="aligncenter" width="353"] bhavtarini[/caption] सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज प्रशिक्षण केन्द्र नौगांव में आउटसोर्स आधार पर डाटा इन्ट्री ऑपरेटर, लेखापाल एवं सहायक ग्रेड-2 का एक-एक पद स्वीकृत था। स्वीकृत पदों की पूर्ति हेतु आउटसोर्स कम्पनियों से टेंडर आमंत्रित किये गये थे। न्यूनतम रेट होने के कारण पहले यह टेंडर छतरपुर की एक फर्म को आवंटित किया गया बाद में लेन-देन की सेटिंग हो जाने के कारण प्राचार्य श्री अग्रवाल ने सागर की एक ब्लेक लिस्टिड फर्म को यह टेंडर आवंटित कर दिया। बताते चलें कि सागर की जिस ब्लेक लिस्टिड फर्म को टेंडर दिया गया है उसने अपनी दरों में ईएसआई की दर का उल्लेख नहीं किया था जिस कारण वह फर्म टेक्निकल बिड में क्वालिफाइड नहीं कर पाई थी पर भ्रष्टाचार की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए प्राचार्य ने आचार संहिता को भी दरकिनार रख दिया और आचार संहिता के दौरान न सिर्फ टेंडर अवॉर्ड कर दिया बल्कि कर्मचारियों की नियुक्ति भी कर ली। क्या है ईएसआई आउट सोर्स आधार पर काम करने वाले कर्मचारियों के हितों के संवंर्धन हेतु भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ-साथ श्रम विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं ताकि कर्मचारियों का शोषण रोका जा सके। जो भी फर्म ठेका पद्धति पर मानव श्रम उपलब्ध कराती है उसे प्रत्येक कर्मचारी का एम्पलॉय स्टेट इंश्योरेंस के तहत बीमा कराना होता है। इस एक्ट के तहत कर्मचारी को मिलने वाले मानदेय पर 6 प्रतिषत प्रीमियम जमा करना होता है जिसमें 1.25 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी के मानदेय से काटा जाता है और 4.75 प्रतिशत हिस्सा नियोक्ता विभाग की ओर से दिया जाता है। जब अन्य ठेकेदारों ने और फर्म के संचालकों ने भ्रष्ट प्राचार्य श्री अग्रवाल से इस संबंध में सवाल उठाये तो उन्होंने बेहुदा जबाव देते हुए कहा कि सरकार ने बुन्देलखण्ड में ईएसआई लागू नहीं किया है। अब इस स्थिति में यदि इस विभाग में नियुक्त आउटसोर्स आधार के किसी भी कर्मचारी की घटना-दुर्घटना में अकस्मात मृत्यु होती है तो उस कर्मचारी के आश्रित परिवार को किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं दी जायेगी क्योंकि भ्रष्ट प्राचार्य ने ब्लेक लिस्टिड फर्म से मिलकर कर्मचारियों के शोषण का नया खेल शुरू कर दिया है।