सूचना के अधिकार के अवलोकन में सामने आई कई अनियमितता
brijesh parmar
उज्जैन । इंदौर के जिला निर्वाचन कार्यालय पर देवास के विडियोग्राफी का ठेकेदार काफी मेहरबान है। विधानसभा चुनाव 2018 को संपन्न हुए दो माह होने को आए हैं उसके बावजूद ठेका फर्म ने 18 जनवरी तक कोई बिल यहां प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसके साथ ही जिला निर्वाचन कार्यालय की विडियोग्राफी निविदा स्वीकृति की फाईल भी अधुरी है। ठेके का अनुबध फाईल से नदारद है तो अनुबंध के साथ ठेकेदार की सुरक्षा निधी.राशि के 4 लाख का भी साक्ष्य नदारद है।

विधानसभा चुनाव 2018 के लिए इंदौर जिला निर्वाचन कार्यालय ने निविदा आमंत्रित की थी। पहली निविदा आनलाईन आमंत्रित न करने की वजह से निविदा समिति ने निरस्त कर दी गई। तीसरी निविदा में देवास की कथित ब्लेक लिस्टेड फर्म टीना विडियोंविजन को ठेका दिया गया। ठेके की शर्तों को तहत निविदा खुलने के 4 दिन में अनुबंध संपादित करते हुए 4लाख की सुरक्षा निधि जमा की जाना थी। जिला निर्वाचन शाखा में मौजूद इस ठेका फाईल में न तो अनुबंध के दस्तावेज ही मौजूद हैं और न ही 4 लाख की सुरक्षा निधि का कोई साक्ष्य ही मौजूद है। यह स्थिति सूचना के अधिकार संपूर्ण फाईल के अवलोकन के दौरान सामने आई है।यही नहीं इसके साथ ही कई तमाम दस्तावेजों की कमी फाईल में साफतौर पर देखी जा सकती है। डेढ माह में एक भी बिल नहीं- जिला निर्वाचन शाखा के सुपरवाइजर जितेन्द्र चौहान के अनुसार एक भी बिल ठेका फर्म की और प्रस्तुत नहीं किया गया है।
करीब 80 लाख के इस ठेके में विडियोग्राफी,सीसीटीवी सहित अन्य काम शामिल हैं। अमूमन देखने में आता है कि ठेका फर्म काम पूर्ण होने के पहले ही बिल लगाने के लिए आतुर रहती हैं फिर यहां ऐसा होना आश्चर्य पैदा कर रहा है। इसके पीछे निर्वाचन से जुडे सूत्रों का कहना है कि निविदा में दरे जीएसटी सहित आमंत्रित करते हुए स्वीकर की गई है। बिल देरी से पेश करने के पीछे यहीं एक कारण है जिसमें देरी से बिल पेश करते हुए अपना मतलब साधने की तैयारी की जा रही है।इस काम में जिला निर्वाचन कार्यालय के कुछ तत्तव ठेकेदार को सतत मदद में लगे हैं जो कि पिछले लंबे समय से यहां पदस्थ हैं और ठेकेदार फर्मों से इनकी तगडी गलबैंया हैं।नियमानुसार हर ठेका फर्म को कार्य संपन्न होने के एक माह अंतराल में जीएसटी का भूगतान करना होता है ऐसी स्थिति में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि ठेका फर्म ने बगैर भूगतान लिए जेब से जीएसटी की अदायगी की है?
आरटीआई कार्यकर्ता ने सहानुभूति के साथ दो अवसर दिए
विडियोग्राफी के ठेके की संपूर्ण फाईल का अवलोकन करने का आवेदन सूचना के अधिकार अंतर्गत निर्वाचन कार्यालय में लगा था ।आवेदक को कार्यालय से बुलावा आए इससे पहले ही ठेका फर्म के चमचों की और से आवेदक से संपर्क किया गया। निर्वाचन शाखा से आवेदक को 5 जनवरी को लिखित पत्र से बुलावा भेजा गया और निविदा के पाप छुपाने के तहत ठेकेदार के साथ षडयंत्र अंजाम देते हुए अधुरी फाईल आवेदक के समक्ष रखी गई।आवेदक ने जब इस पर प्रश्न खडे किए तो संबंधित डिलिंग क्लर्क ने उनसे सहदयता और सहानुभूति के आधार पर एक अवसर देने का पक्ष रखा जिसे आवेदक ने स्वीकार करते हुए 18 जनवरी को संपूर्ण फाईल का अवलोकन करवाने का वादा लिया और ना-समझ बाबू को फाईल में कम कागजों की सूची तक बनवाई ।18 जनवरी को षडयंत्र के तहत आवेदक को पुन: अधुरी फाईल दिखाई गई । आवेदक के आपत्ति लेने पर निर्वाचन सुपरवाईजर जितेन्द्र चौहान का कथन था कि आपके आदेश पर काम थोडी होगा।हमारे पास जो उपलब्ध है उसी का अवलोकन करवाया जाएगा।प्रशन यह खड़ा हो रहा है कि अगर फाईल पूर्ण नहीं थी तो आवेदक को खानापूर्ति के लिए क्यों बुलाया गया।
इनका कहना है
-अनुबंध साईन होने के लिए साहब के पास गया है। सुरक्षा निधी का दस्तावेज लगा होगा। आपको जो प्रतिलिपि चाहिए उसे लिखकर दे दें। समयावधि में उपलब्ध करवा देंगे।
जितेन्द्र चौहान, सुपरवाईजर, जिला निर्वाचन, इंदौर