हमें अभिमान है कि हम छत्तीसगढ़ियां हैं, सरकारी स्लोगन में 'अभिमान' पर बोले मुख्यमंत्रीभूपेश

हमें अभिमान है कि हम छत्तीसगढ़ियां हैं, सरकारी स्लोगन में 'अभिमान' पर बोले मुख्यमंत्रीभूपेश
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हां, हमें अभिमान है। हमें अभिमान है कि हम छत्तीसगढ़ियां हैं। सीएम ने यह बात गुरुवार को विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कही। सरकारी स्लोगन में अभिमान शब्द के उपयोग को लेकर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए बघेल ने कहा कि 60 की उम्र में वहीं व्यक्ति भंवरा चला सकता है या गेंड़ी, रेचरी चढ़ सकता है जो बचपन में यह किया हो। उन्होंने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गर्व है और छत्तीसगढ़िया होने का अभिमान है।

राज्य सरकार के काम की केंद्र सरकार भी कर रही है सराहना

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोरोनाकाल में भी राज्य सरकार ने बेहतर काम किया है। उन्होंने कहा कि इस काम में पक्ष और विपक्ष सभी तरफ के जनप्रतिनिधियों का भी सरकार को पूरा सहयोग मिला। राज्य सरकार के कामों की सराहना भारत सरकार और नीति आयोग ने भी की। हमने विपरीत परिस्थतियों में भी बेहतर काम किया है। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पूरे देश में महामारी एक्ट लागू है। कोरोना को लेकर राज्य सरकार अपनी मर्जी से कोई फैसला नहीं कर सकती। जो वहां से निर्देश मिलेगा उसके अनुसार ही हमें काम करना पड़ेगा।

धान के लिए केंद्रीय मंत्री से की है बात

मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि बुधवार को ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से एफसीआइ को चावल देने की अनुमति देने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं किसान आंदोलन में व्यस्त हूं। धान खरीदी को एक माह हो गया है लेकिन यह दुर्भाग्यजनक है कि अभी तक एफसीआइ में चावल देने की अनुमति नहीं मिल पाई है। राईस मिलर्स अब तक सात लाख टन से अधिक उठाव कर चुके हैं। यदि एफसीआइ में चावल जमा करने की अनुमति नहीं मिलती है तो बारदाने की कमी होगी।

केंद्र ने बांध दिए थे हमारे हाथ पांव

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को एकमुश्त धान की कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल इसलिए नहीं दी जा सकी क्योंकि केंद्र सरकार ने हमारे हाथ-पांव बांध दिए थे। इस वजह से हमें राजीव गांधी न्याय योजना शुरू करना पड़ा।
46 से अब 400 हो गए हैं आइसीयू बेड
बघेल ने कहा कि अब कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आ गया है। यदि विदेशों से आने वालों को पहले ही बड़े शहरों में रोक लिया गया होता, तो यह छत्तीसगढ़ नहीं आ पाता। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन कर रही है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना विकसित करने के भी पूरे प्रयास किए है। 15 वर्षों में प्रदेश में केवल 46 आइसीयू बेड थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 400 हो गई है। हजारो बेड, वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई।