अजीत जोगी की पत्नी का टिकट कटा, सोनिया को पत्र लिख जताई नाराजगी

अजीत जोगी की पत्नी का टिकट कटा, सोनिया को पत्र लिख जताई नाराजगी

 
रायपुर 

छत्तीसगढ़ में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी का कोटा विधानसभा सीट से टिकट कट गया है. उनकी जगह पार्टी ने विभोर सिंह को मैदान में उतारा है. विभोर सिंह छत्तीसगढ़ पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात थे. हाल ही में नौकरी से इस्तीफा देकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था.

रेणु जोगी को लेकर पहले से ही अंदेशा जाहिर किया जा रहा था कि कांग्रेस इस बार उन्हें टिकट नहीं देगी. गुरुवार शाम जब कांग्रेस की आखिरी लिस्ट आई तब हुआ भी ऐसा. हालांकि रेणु जोगी को इसका अहसास पहले से ही था. लिहाजा उन्होंने दो दिन पहले ही जनता कांग्रेस जोगी की ओर से कोटा विधानसभा सीट से अपना नामांकन फार्म खरीद लिया था. इस बात की चर्चा जोरों पर है कि शनिवार को रेणु जोगी विधिवत रूप से अपनी पारिवारिक पार्टी जनता कांग्रेस जोगी में शामिल हो जाएंगी. यह भी कहा जा रहा है कि वो कोटा विधानसभा सीट से अपना नामांकन भी दाखिल करेंगी. रेणु जोगी ने टिकट काटे जाने के बाद ऐलान किया है कि वो कोटा से चुनाव लड़ेंगी लेकिन उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि किस पार्टी से चुनावी मैदान में उतरेंगी.

रेणु जोगी ने सोनिया को भेजे पत्र में क्या लिखा

इस बीच रेणु जोगी के उस पत्र को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है जो उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा है. रेणु जोगी ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा है कि फर्जी सीडी लाकर मेरे पति और पुत्र को बदनाम किया गया, मैं चुप रही. मैं दो वर्षों से निरंतर अपमानित होती रही लेकिन कभी भी आपको एक शब्द नही बताया, मैं चुप रही. हमेशा पार्टी हित के लिए चुपचाप सब सहती रही. एक क्षण के लिए भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि आप मेरे साथ नहीं खड़ी हैं. मैंने हमेशा कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के प्रति अपनी मजबूत निष्ठा रखी.

उन्होंने यह भी लिखा कि 'मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरे जीवन से जुड़े निर्णय आपको बताने के लिए मुझे आपको पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ेगी. तीन दशकों से भी ज्यादा हो गए, हमारे बीच संबंध इतने प्रगाढ़ हैं कि मेरे और आपके बीच कभी कोई दीवार नहीं रही. मैंने सदैव आपको अपना आदर्श माना. मेरे परिवार और आपके परिवार में कभी कोई परायापन नहीं रहा. हम निस्वार्थ भावना से एक दूसरे से जुड़े रहे. सुख-दुख, राजनीतिक, गैर राजनीतिक सभी परिस्थितियों में हम एक दूसरे के हितों के लिए तटस्थ खड़े रहे. आपने मुझे बहुत प्यार और सत्कार दिया. मैंने भी आपके प्यार का सम्मान करते हुए बराबरी से हर प्रतिकूल परिस्थिति में आपका साथ दिया. मेरे पति और गांधी परिवार के प्रति सर्वोच्च निष्ठा रखने वाले जोगी जी जब अपमानित होकर कांग्रेस से अलग हुए और अपनी नई पार्टी बनाई, तब भी मैंने कांग्रेस और गांधी परिवार को अपने परिवार से ऊपर रखा और कांग्रेस पार्टी की सेवा करती रही.'

पत्र में रेणु जोगी ने लिखा है, 'जोगी जी की नई पार्टी बनने के बाद, उनको रोकने और अपना राजनीतिक हित साधने के लिए उनके विरोधियों ने मुझे निशाना बनाया. मुझे सार्वजनिक जीवन में प्रताड़ित किया गया, फिर भी मैं चुप रही. मेरे खिलाफ कांग्रेस के ही के नेताओं ने झूठा अभियान चलाया, मैं चुप रही. गलत खबरें छपवाई, मैं चुप रही. मेरा पल पल अपमान किया, मुझे बैठकों में नही बुलाया, मैं चुप रही. मुझे सदन में उपनेता के पद से हटाया, मैं चुप रही. सदन के भीतर मुझ पर मेरे ही पार्टी के लोगों ने तंज कसे, मैं चुप रही. फर्जी सीडी लाकर मेरे पति और पुत्र को बदनाम किया गया, मैं चुप रही. मैं दो वर्षों से निरंतर अपमानित होती रही लेकिन कभी भी आपको एक शब्द नही बताया, मैं चुप रही. हमेशा पार्टी हित के लिए चुपचाप सब सहती रही. एक क्षण के लिए भी मुझे ऐसा नही लगा कि आप मेरे साथ नहीं खड़ी हैं. मैंने हमेशा कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के प्रति अपनी मजबूत निष्ठा रखी. कभी किसी के दबाव में नही आई. अपने स्वयं के परिवार के हितों को तिलांजलि देकर आगे बढ़ी और कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था.'

रेणु जोगी ने लिखा, 'अंत में आखिर वही हुआ जो कांग्रेस के हितैषी नहीं बल्कि जोगी जी के विरोधी चाहते थे. जिस कोटा विधानसभा क्षेत्र को मैंने अपने परिवार की तरह पाला और सेवा की, उसे ही मुझसे आज छीन लिया गया. मेरी सरलता, मासूमियत, मेरे त्याग और निष्ठा को जानबूझ कर एक षड्यंत्र के तहत द्वेष, ईर्ष्या और संकीर्ण राजनीति के चश्मे से देखा गया और आज उस षड्यंत्र को अंजाम तक पहुंचाने, मेरे अस्तित्व को मिटाने का प्रयास हुआ है. अब तक बात मेरे परिवार तक सीमित थी लेकिन आज मेरे कोटावासियों से मुझे दूर करने का अनैतिक और अन्यायपूर्ण कृत्य हुआ है.'

रेणु जोगी ने आगे लिखा, मुझे आपको सूचित करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि पार्टी में एक निष्ठावान और वरिष्ठ महिला कार्यकर्ता के आत्मसम्मान और त्याग को परखने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस पार्टी में न तो विवेक है और न ही कोई व्यक्ति. शायद आप विवश हैं इसलिए आपने सही-गलत का निर्णय लेने में देर कर दी. मुझे कोटा से कोई अलग नहीं कर सकता. मैंने अपना शेष जीवन कोटावासियों को समर्पित कर दिया है. मैं कोटा से चुनाव लड़ूंगी, यह साबित करने के लिए कि सच चुप रहता है पर इसका मतलब यह नहीं कि वो पराजित हुआ. मुझे विश्वास है कि अंत में सच की ही जीत होगी. आपसे मेरे निजी संबंध और सम्मान सदैव वैसे ही रहेंगे जो पिछले तीन दशकों से हैं. मैं ईश्वर से आपके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हूं.