अयोध्या जमीन विवाद में मध्यस्थ बने श्री श्री रविशंकर, पहले कर चुके हैं राम मंदिर बनने का समर्थन

अयोध्या जमीन विवाद में मध्यस्थ बने श्री श्री रविशंकर, पहले कर चुके हैं राम मंदिर बनने का समर्थन

 
नई दिल्ली 

दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमिटी गठित की है। कमिटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला (अध्यक्ष), सीनियर ऐडवोकेट श्रीराम पांचू के अलावा आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को शामिल किया गया है। श्री श्री रविशंकर की बात करें तो वह पहले से विवादित जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में हैं। आध्यात्मिक गुरु 2003 से इस मामले को सुलझाने की कोशिशों में लगे हुए हैं, लेकिन अबतक बात नहीं बनी। 

रविशंकर ने पहले भी कोर्ट के बाहर समझौते की बात कही थी। 6 मार्च 2018 को उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था, 'मेरे हिसाब से सबसे बेहतर समाधान यही है कि सभी मुस्लिम संगठन साथ आएं और मंदिर के लिए एक एकड़ जमीन हिंदुओं को तोहफे में दे दें। इसके बदले में हिंदू उन्हें पास में करीब 5 एकड़ जमीन दे देंगे जहां मस्जिद बनाई जा सकती है।' उन्होंने आगे लिखा था कि इससे मुसलमानों को फायदा ही होगा। एक तरफ 100 करोड़ हिंदुओं के साथ सद्भाव की स्थापना होगी, दूसरी तरफ मामला हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। यह बात भी रहेगी कि यह मंदिर हिंदुओं और मुसलमानों के सहयोग से बना है। 

2003 से कोशिश कर रहे रविशंकर 
श्री श्री 2003 से विवादित जन्मभूमि के मामलो को सुलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं। तब भी उन्होंने पैरोकारों को कुछ तरीके बताए थे, जिनसे मामले को सुलझाने की कोशिश हो सकती थी। इसके बाद 2017 से उन्होंने दोबारा कोशिश शुरू की। लेकिन तब AIMPLB ने उनके प्रस्ताव को नहीं माना।