अर्थव्यवस्था को झटका, 14 साल के निचले स्तर पर नया घरेलू निवेश

अर्थव्यवस्था को झटका, 14 साल के निचले स्तर पर नया घरेलू निवेश

मुंबई 
अर्थव्यस्था में जल्द तेजी आने की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है। दिसंबर में समाप्त हुई तिमाही में नया निवेश 14 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के प्रॉजेक्ट-ट्रैकिंग डेटाबेस के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।  


भारतीय कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट की घोषणा की है, जो सितंबर तिमाही की तुलना में 53 फीसदी कम और पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 55 फीसदी कम है। 

नई परियोजनाओं में यह गिरावट निजी क्षेत्र द्वारा प्रॉजेक्ट की घोषणाओं में कमी के कारण सामने आई है। सितंबर तिमाही की तुलना में दिसंबर तिमाही में निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में 62 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में इसमें 64 फीसदी की गिरावट आई है। 

चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही की तुलना में दिसंबर तिमाही में नई सरकारी परियोजनाओं में भी गिरावट देखने को मिली है। दिसंबर तिमाही में ताजा निवेश में पिछली तिमाही की तुलना में 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 41 फीसदी की गिरावट देखी गई है, जो दिसंबर 2004 के बाद अपने निचले स्तर पर है। 

सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में ताजा निवेश में गिरावट देखी गई है। इसमें केवल कंस्ट्रक्शन क्षेत्र ही अपवाद है, जिसमें दिसंबर तिमाही में मामूली सुधार दर्ज किया गया है। 

बैड लोन में लगातार बढ़ोतरी, चुनावों से पहले नीतियों की अनिश्चितताओं में बढ़ोतरी और लटकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में किसी प्रकार का सुधार नहीं होना भारतीय उद्योग के उत्साह पर भारी पड़ा है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर तिमाही में लटकी परियोजनाओं की लागत में लगातार बढ़ोतरी हुई है।