इन दो इलाकों में शिवराज सिंह चौहान ने इस बार भी नहीं की रैली

इन दो इलाकों में शिवराज सिंह चौहान ने इस बार भी नहीं की रैली

भोपाल
मध्य प्रदेश के महासमर में उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में क़ैद है और अब सभी को फैसले का इंतज़ार है. लेकिन उससे पहले 28 नवंबर तक चले घमासान में नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए सारे जतन किए. इन सबके बीच एमपी की सियासत से जुड़े कुछ ऐसे मिथक भी रहे जो पहले की तरह इस बार भी नहीं टूट पाए. दरअसल ये अंधविश्वास से जुड़े मिथक थे, इसलिए नेताओं ने इनसे कन्नी काट ली.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के आख़िरी दिनों में ताबड़तोड़ 149 रैलियां और रोड शो तो किए लेकिन अशोकनगर और इछावर नहीं गए. सीएम ने इन दोनों जगह एक भी रैली नहीं की. इसकी वजह एक अंधविश्वास है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी सीएम अशोकनगर या इछावर जाता है उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है.

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने चुनाव कैंपेन की शुरुआत बुदनी से की और ख़त्म कोलार में किया. इसकी भी वजह ये थी कि उन्हें ये विश्वास है कि ये दोनों जगह उनके लिए शुभ हैं.

इन सबके बीच कुछ मिथक ऐसे भी हैं जो चुनाव दर चुनाव टूटते रहे हैं. मसलन मध्य प्रदेश में बीजेपी का सीएम पांच साल तक सीएम नहीं रह सकता लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार 14 साल मुख्यमंत्री रहे. पांच साल से ज्यादा बीजेपी की सरकार नहीं चल सकती ये मिथक तो पहले ही टूट चुका है. महाकुंभ को लेकर भी सियासी गलियारों में कई मिथक जुड़े रहे हैं.

अब इसे अंधविश्वास कहें या सत्ता जाने का डर कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस अंधविश्वास से उबर नहीं पाए.