इन नशेड़ी तोतों से परेशान हैं किसान, चट कर रहे अफीम की फसल

इन नशेड़ी तोतों से परेशान हैं किसान, चट कर रहे अफीम की फसल

नीमच 
इंसान के साथ अगर पशु-पक्षी भी नशे के आदि हो जाये तो सोचें क्या होगा लेकिन ऐसा ही कुछ अफीम उत्पादक मालवांचल के क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. यहां इंसानों के साथ पक्षी भी अफीम के आदी हो चले हैं. इसके कारण इस इलाके का किसान काफी परेशान हैं क्योंकि ये पक्षी अफीम की फसल को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन पक्षियों से बचाव को लेकर किसानों को काफी मशक्कत करना पड़ रही है. 

अफीम उत्पादक मालवांचल में इस समय जब अफीम के डोडों से निकलने का काम जोरशोर से चल रहा है.  अफीम उत्पादक किसानों के लिए चोर, लुटेरों-तस्करों के साथ तोते भी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं.

अफीम उत्पादक अंचल में नशेड़ी तोते डोडे खाकर बड़ी मात्रा में फसल को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं. मालवा के नीमच व मंदसौर जिलों में अफीम की फसल अपने पूर्ण यौवन पर है. इसके चलते उसके डोडों पर लुनी चीरनी का कार्य चल रहा है. अफीम के डोडों में मादक द्रव्य अफीम दूध के रुप में चीरा लगाने पर बाहर निकल कर सुबह तक गाढ़ा हो जाता है.

दूसरी सुबह लुनाई कर अफीम को  एकत्रित किया जाता है. अब इस मादक पदार्थ अफीम की फसल का स्वाद तोतों को लग गया है. 24 घंटे में एक बार तोते का मन डोडा खाने का करता है और वह अफीम के खेतों पर मंडराने लगते हैं. अफीम के नशे में धुत यह तोते ना शोर मचाने, ललकारने से भागते हैं और ना पत्थर मारने से.

अफीम उत्पादक कनावटी के किसान शिवलाल पाटीदार का कहना है की पहले तो हम अफीम को प्रकृति की मार चोर लुटेरों से या नीलगाय के आतंक से बचने की जद्दोजहद में लगे रहते थे लेकिन अब कुछ सालों में तोतों ने भी अफीम को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है. हमें लगता है की अब ये तोते भी अफीम के नशे के शौकीन हो गए है.

बामनिया गांव के अफीम किसान भरत पाटीदार का कहना है की पहले तो हमारी रात ही काली होती थी लेकिन अब तोतों ने दिन भी काले कर दिए है दिन में भी एक मिनट के लिए अफीम की फसल को नहीं छोड़ सकते है कोई न कोई खेत पर होता है तोतों को उड़ाने भगाने के लिए एक आदमी चहिये ही चाहिए नहीं तो ये हमारी अफीम को चट कर देंगे.

नशा मुक्ति केंद्र के विशेषज्ञ चिकित्सक और मेडिकल ऑफिसर डॉ.सैफुद्दीन गौहर का कहना था कि तोते यदि अफीम का डोडा या उसपर लगी अफीम खाते हैं तो निश्चित है उससे नशा तो होगा क्योंकि इसमें मॉर्फिन होती है. डॉ.गौहर ने कहा की इसे खाने के बाद उनका क्या होता है, यह रिसर्च और जांच का मामला है क्योंकि फसल खत्म होने के बाद इन्हें वह डोडा खाने को नहीं मिलता होगा, तब इनका क्या हाल होगा, वह देखना पड़ेगा.

वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ.सीपी पचौरी का कहना है कि जानवरों और पशु-पक्षियों की आहार नली मनुष्य से डिफरेंट होती है. वह इस नशे को पचा जाते हैं. इसलिए मुझे नहीं लगता की इन पर कोई दुष्प्रभाव पड़ता होगा.