एमपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हो सकते हैं शिवराज सिंह चौहान
भोपाल
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार बन चुकी है. विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. 230 सीट वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें मिली. वहीं बीजेपी को 109 सीटें मिली. कांग्रेस ने बहुमत के लिए आवश्यक 116 विधायकों का समर्थन जुटाकर सरकार बना ली. कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपना समर्थन दे दिया है.
यह तय है कि बीजेपी विपक्ष में बैठेगी, लेकिन उसके सामने जो बड़ी चुनौती है वह यह कि अपना नेता चुनना यानी नेता प्रतिपक्ष चुनना, हालांकि इस रेस में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे नजर आ रहा है. शिवराज सिंह चौहान इतने सालों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. बीजेपी नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस नेताओं के बीच भी उनका राजनीतिक वार्तालाप होता रहा है.
जिस दिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था उस दिन उन्होंने कहा भी था कि उम्मीद है कि नई सरकार विकास की योजनाओं को जारी रखेगी. हमारे पास 109 विधायक हैं, हमारा कमिटमेंट है रचनात्मक सहयोग का, प्रदेश के हित के लिए जहां भी खड़े रहने की जरूरत होगी, हम वहां डटे रहेंगे.
एक कारण यह भी है कि जब उनसे पूछा गया था कि क्या वे मध्य प्रदेश छोड़कर दिल्ली जाएंगे तो उन्होंने खुद ही कहा कि मैंने मध्य प्रदेश में जन्म लिया है और मध्य प्रदेश में ही मरूंगा. शिवराज ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में ही पार्टी के लिए काम करूंगा और दिल्ली जाने का कोई विचार नहीं है.
करीब 13 सालों तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बैठाया. जितनी पकड़ उनकी सरकारी योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने में रही उतनी ही उनकी पकड़ बीजेपी कार्यकर्ताओं से संवाद कायम करने में रही. यही कारण है कि वे नेता प्रतिपक्ष के सबसे प्रबल दावेदार नजर आ रहे हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी निर्णय करेगी वह उन्हें मान्य होगी.