कर्ज देने वाले बैंकों की मीटिंग में आज तय हो सकता है बंद पड़ी जेट एयरवेज का भविष्य
नई दिल्ली
जेट एयरवेज का भविष्य सोमवार को तय हो सकता है। कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों की आज मीटिंग होने वाली है, जिसमें इस पर गौर किया जाएगा कि क्या स्ट्रेस्ड ऐसेट्स पर आरबीआई के 7 जून के सर्कुलर के मुताबिक कोई समाधान हो सकता है? इस मामले से वाकिफ तीन बैंकरों ने यह जानकारी दी है।
उनमें से एक ने बताया, 'जेट एयरवेज के संभावित रेजॉलुशन पर बैंकों की सोमवार को मीटिंग हो रही है। अभी तक हमें कंपनी के लिए कोई गंभीर प्रस्ताव नहीं मिला है। इसलिए दिवाला कानून के तहत इस मामले को निपटाने की संभावना पर भी गौर किया जाएगा।' सूत्रों ने बताया कि बैंक यूएस एग्जिम बैंक को 200 करोड़ रुपये का भुगतान करके जेट के 6 एयरक्राफ्ट का कब्जा लेने के प्रस्ताव पर भी विचार करेंगे। एक अन्य बैंकर ने कहा, 'बैंकों के लिए एग्जिम बैंक को भुगतान करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इन एयरक्राफ्ट्स के मालिकाना हक पर भी तस्वीर साफ नहीं है। इन्हें लेकर आगे विवाद हो सकता है।'
जेट को कर्ज देने वाले बैंक पहले कह चुके हैं कि कंपनी की नेगेटिव नेटवर्थ को बदलना और इसकी सेवाओं को बहाल करना निवेशकों के लिए आसान नहीं होगा। जेट पर 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसकी कुल देनदारी 25 हजार करोड़ रुपये है। देश की सबसे पुरानी प्राइवेट एयरलाइन ने 17 अप्रैल को सारी उड़ानें बंद कर दी थीं क्योंकि उसके पास रोजमर्रा के कामकाज जारी रखने के लिए भी कैश नहीं बचा था। वहीं, बैंकों ने इसके लिए उसे अंतरिम कर्ज देने से मना कर दिया था।
पहले खबर दी थी कि हिंदुजा ग्रुप और एतिहाद पीजेएससी कंपनी के लिए मिलकर एक डील तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक बैंकों को उनसे कोई प्रपोजल नहीं मिला है। दिवाला कानून के तहत इस मामले के निपटारे पर फैसला करने से पहले बैंक हिंदुजा ग्रुप और एतिहाद को एक आखिरी मौका दे सकते हैं। उधर, जेट के खिलाफ दो कंपनियों ने मुंबई की दिवाला अदालत में याचिका दायर की है, जिस पर 20 जून को सुनवाई होगी।
बैंकों की कोशिश अब तक नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में जेट को ले जाने से बचने की रही है क्योंकि वे इसे बेचकर अधिक से अधिक रिकवरी की कोशिश में हैं। बैंक ऐसी योजना पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें जेट एयरवेज ब्रांड को किसी निवेशक को बेचा जा सकता है। हालांकि, इसमें उन्हें कंपनी को दिए गए कर्ज के बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ेगा।
इस मामले में चल रही बातचीत से वाकिफ एक अन्य बैंकर ने कहा, 'कामकाज बंद होने के बाद कंपनी के स्लॉट, काफी एंप्लॉयी हाथ से निकल गए हैं। हालांकि, इसकी ब्रांड वैल्यू अभी भी बची हुई है। इसलिए हम इसके वैल्यूएशन का पता लगाने की कोशिश हो सकती है।' उन्होंने कहा, ‘निवेशक बैंकों से 80 पर्सेंट कर्ज माफ करने को कह रहे हैं। यह बहुत ज्यादा है। हम पहले रिजॉल्यूशन की कोशिश करेंगे।’

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