काबा के पूरब में काला पत्थर का रहस्य, इसलिए चूमते हैं हाजी

काबा के पूरब में काला पत्थर का रहस्य, इसलिए चूमते हैं हाजी


मुस्लिम समुदाय में अगर किसी ने जन्‍म लिया है तो उसके लिए जीवन में कम से कम एक बार हज यात्रा पर जाना अनिवार्य माना जाता है। मक्‍का में हज पर जाने वाले मुस्लिमों को हाजी कहा जाता है। यहां मुसलमानों के पवित्र धर्म स्‍थल काबा पहुंचकर हज यात्री परिक्रमा करते हैं और काबा की पूर्वी कोने में लगे काले पत्‍थर को चूमते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या है राज…

अरबी में कहते हैं अल-हजरु अल-अस्वद

काबा के पूर्वी कोने में एक छोटा सा काला पत्‍थर लगा हुआ है। यह दिखने में भले ही छोटा है लेकिन इसका महत्व बड़ा है। यह पत्थर चारों ओर से चांदी के फ्रेम में जड़ा हुआ है। अरबी भाषा में इस पत्‍थर को अल-हजरु अल-अस्वद कहा जाता है। इस पत्‍थर के पीछे की कहानी के बारे में कई तरह के किस्‍से मशहूर हैं। लेकिन सच्‍चाई के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

धूमकेतु और चांद का टुकड़ा

इस पवित्र काले पत्थर को लेकर कई कहानियों में एक कहानी ऐसी है कि यह धरती पर आया धूमकेतु है। कुछ मान्यताओं में इसे चांद का टुकड़ा कहा गया है जो चांद से टूटकर धरती पर आया है। दरअसल इस पत्थर को लेकर तरह-तरह की बातें हैं।


कुरआन में मक्का का काला पत्थर

इस्लाम में काबा के जिस काले पत्थर को सबसे पवित्र माना गया है उसका जिक्र कुरआन में नहीं मिलता है। इसके पीछे एक धारणा यह है कि यह पत्थर मुहम्मद साहब के धरती से जाने के बाद अस्तित्व में आया। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका जिक्र इस्लाम के दूसरे ग्रंथों में नहीं हुआ है।

हदीसों में पवित्र काले पत्थर का जिक्र

इस्लाम को मानने वाले कुरान के बाद हदीस पर यकीन करते हैं। हदीस में इस पवित्र काले पत्थर का जिक्र किया गया है और इसके महत्व को बतया गया है। कई हदीसों में इस पत्‍थर को जीवित बताया गया है। इसके अनुसार पैगंबर इस पत्‍थर को खुदा का दायां हाथ मानते थे और इसे जीवित समझते थे। इसे चूमकर वह खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं। पैगंबर ने इस पत्थर को चूमा था इसलिए यह परंपरा बन गई कि हाजी इसे चूमेंगे। लेकिन अब बड़ी संख्या में हाजी आने लगे हैं इसलिए हर किसी के लिए इसे छूना और चूमना संभव नहीं रह गया है। इसलिए हाजी अब इस पत्थर की ओर मुंह करके दुआएं मांगते हैं।

इब्राहिम और इस्‍माइल का काले पत्थर से नाता

इस पवित्र काले पत्‍थर से जुड़ी एक और कहानी प्रचलित है। पैगंबर इब्राहिम को जब खुदा ने काबा बनाने के लिए कहा तो इसके निर्माण के अंतिम समय में इन्होंने देखा की काबा के पूर्वी भाग में एक छोटा सा खाली स्थान रह गया है। इन्होंने अपने बेटे इस्‍माइल को इस खाली स्थान को भरने के लिए पत्थर लाने के लिए कहा लेकिन काफी समय बाद भी उन्हें वैसा पत्थर नहीं मिला तो वह खाली हाथ लौट आए। लेकिन आकर देखा तो खाली स्थान पर एक काला पत्थर लग चुका था। पैगंबर इब्राहिम ने बताया कि खुदा ने जन्नत से एक फरिश्ते को भेजा था उसी ने यह पत्थर लगाया है।