क्रूड के तेवर नरम, और घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
नई दिल्ली
क्रूड ऑइल के 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ जाने के चलते देश में फ्यूल प्राइसेज में और कमी आ सकती है। क्रूड अक्टूबर में 86 डॉलर प्रति बैरल के साथ 4 साल के उच्चतम स्तर पर चला गया था। दाम में नरमी ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ कमजोर हो सकने के डर और क्रूड सप्लाई बढ़ने के चलते आई है। इस बीच, कच्चे तेल के दाम में कमी आने से रुपये को भी राहत मिली है।
लंबे समय तक कमजोरी के बाद अब रुपये में मजबूती का ट्रेंड शुरू हुआ है। नवंबर में इमर्जिंग मार्केट्स की करंसी में रुपये का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। इसमें डॉलर की तुलना में 2.79 पर्सेंट की मजबूती आई। इस टेबल में अब भारतीय करंसी चिली की पेसो और इंडोनेशिया के रुपिया के बाद तीसरे नंबर पर है। भारतीय करंसी रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 71.46 पर बंद हुआ था। करंसी और डेट मार्केट बुधवार को ईद-मिलाद-उल नबी के मौके पर बंद रहे।
देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी का दौर 17 अक्टूबर को शुरू हुआ था। तबसे पेट्रोल 6.45 रुपये और डीजल 4.42 रुपये प्रति लीटर सस्ते हो चुके हैं। गुरुवार को दिल्ली में पेट्रोल का दाम 76.38 रुपये और डीजल का 71.27 रुपये प्रति लीटर है। सरकारी कंपनियों ने क्रूड में नरमी का पूरा फायदा अगर कंज्यूमर्स को दिया तो दाम और कम हो सकते हैं।
सैद्धांतिक रूप से पेट्रोल-डीजल के लोकल रेट्स क्रूड के पिछले 15 दिनों के इंटरनैशनल प्राइसेज के एवरेज और एक्सचेंज रेट को ध्यान में रखकर तय किए जाते हैं। हालांकि देश में इनका दाम हमेशा अंतरराष्ट्रीय रुझान के अनुसार नहीं रहता क्योंकि प्राइसिंग का ढका-छिपा तरीका सरकारी कंपनियों को भाव में जरूरत से ज्यादा घट-बढ़ करने का मौका दे देता है। कभी-कभी ऐसा सरकार के इशारे पर भी किया जाता है।
सप्लाई बढ़ सकने के डर और मांग कमजोर होने की संभावना के कारण क्रूड ऑइल फिसल रहा है। अमेरिका, रूस और सऊदी अरब से सप्लाई बढ़ी है। इसे देखकर OPEC सदस्यों और उनके सहयोगियों ने उत्पादन घटाने पर फिर बातचीत शुरू कर दी है। हालांकि दाम कम रखने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के जोर देने से OPEC का लीडर सऊदी अरब हो सकता है कि उत्पादन न घटाए।
इस महीने कच्चे तेल में 17 पर्सेंट की गिरावट के बाद विदेशी निवेशकों की भी भारत में दिलचस्पी बढ़ रही है। उन्हें लग रहा है कि तेल के सस्ता होने से भारत का चालू खाता घाटा बेकाबू नहीं होगा। सितंबर क्वॉर्टर में भारतीय कंपनियों के अच्छे रिजल्ट का भी उन पर पॉजिटिव असर हुआ है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड में साउथ एशिया के फॉरन एक्सचेंज, रेट्स और क्रेडिट हेड गोपीकृष्णन एमएस ने बताया, 'कच्चे तेल के दाम में गिरावट अच्छी खबर है क्योंकि इससे भारतीय एसेट्स में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी। ट्रेड डेफिसिट में कमी आने की उम्मीद के चलते अब रुपये में मजबूती शुरू हो गई है। इस साल के अंत तक भारतीय करंसी 2-3 पर्सेंट स्ट्रॉन्ग हो सकती है।' 2018 में रुपये पर कई वजहों से दबाव बना था। इनमें तेल के दाम में तेजी, पीएनबी फ्रॉड, ट्रेड डेफिसिट में बढ़ोतरी, एनबीएफसी के पास कैश की कमी जैसे कारण शामिल थे। गोपीकृष्णन ने बताया, 'इनमें से कई समस्याएं सुलझ गई हैं या उनका अस्थायी हल निकल आया है।' भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट जून तिमाही में जीडीपी का 2.4 पर्सेंट रहा था।