गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण नहीं रहे, अंतिम संस्कार आज

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण नहीं रहे, अंतिम संस्कार आज

पटना                                                                                                                                                                                         
चर्चित वैज्ञानिक आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले देश के चर्चित व महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (77 वर्ष) का गुरुवार को पीएमसीएच में निधन हो गया। वे पिछले 40 सालों से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे। वे मूलरूप से भोजपुर के बसंतपुर के रहने वाले थे। शुक्रवार सुबह नौ बजे सुबह उनका अंतिम संस्कार बसंतपुर के महुली घाट पर होगा। 

अशोक राजपथ के कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित आवास पर गुरुवार सुबह आठ बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद उनके छोटे भाई अयोध्या सिंह और भतीजे मुकेश, राकेश उन्हें लेकर पीएमसीएच इमरजेंसी पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन की सूचना से शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित आवास पर परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इसे देश और बिहार के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की। 

एंबुलेंस के इंतजार में एक घंटा पड़ा रहा शव 
वशिष्ठ बाबू के छोटे भाई अयोध्या प्रसाद सिंह और भतीजे राकेश कुमार ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे मौत के बाद पीएमसीएच ने उनकी मृत्यु के बाद शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया। इसके कारण शव के साथ दो घंटे तक अस्पताल परिसर में ही इंतजार करना पड़ा। काफी देर होने पर परिजन और कुछ लोग हंगामा करने लगे।  मीडिया में खबर फैलने पर डीएम कुमार रवि के निर्देश पर स्पेशल ट्रीटमेंट एंबुलेंस से उनका पार्थिव शरीर कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स पहुंचाया गया। 

डेढ़ माह पहले भी हुए थे भर्ती 
वशिष्ठ बाबू को डेढ़ माह पहले भी पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। सात दिनों तक इमरजेंसी की आईसीयू में उनका इलाज किया गया था। हालत में सुधार होने पर कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित भाई अयोध्या सिंह और परिवार के साथ फिलवक्त वे रह रहे थे।

बसंतपुर में अंतिम संस्कार आज
कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित आवास से उनका पार्थिव शरीर लेकर परिजन गुरुवार शाम 5:50 बजे गांव पहुंच गए थे। बिहार सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मंत्री जयकुमार सिंह पहले ही गांव पहुंच गए थे। वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव बसंतपुर में होगा।

हमेशा रहे उपेक्षा के शिकार 
वशिष्ठ बाबू देश में उपेक्षा के हमेशा शिकार होते रहे। 8 जुलाई 1973 को आईपीएस अधिकारी की पुत्री से उनकी शादी हुई थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। वशिष्ठ बाबू की तबीयत बिगड़ी और जनवरी 1974 में वे मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए। उन्हें रांची स्थित मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराया गया। नौ अगस्त 1989 को गढ़वारा (खंडवा) स्टेशन से लापता हो गए। उसके बाद 7 फरवरी 1993 को सारण के डोरीगंज में एक ढाबा में जूठन में खाना तलाशते हुए मिले। उनके गांव के ही एक व्यक्ति ने उन्हें इस हालत में देखकर परिवार वालों का इसकी सूचना दी। शासन-प्रशासन से उन्हें कोई मदद नहीं मिली और बाद में नेतरहाट ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन  ने उन्हें इलाज के लिए पैसे का इंतजाम किया। 

गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ। उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है। विनम्र श्रद्धांजलि! 
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री