गलवान घाटी में शहीद हुए जवान राजेश औरंग का नाता जबलपुर से

जबलपुर
भारत चीन सीमा पर गलवान घाटी में भारतीय सेना के जो अफसर और जवान शहीद हुए उनमें से एक राजेश औरंग का नाता मध्य प्रदेश से भी था. शहीद राजेश औरंग के भाई जबलपुर की आयुध निर्माणी में हैं. ये वो परिवार है जिसके दो बेटे सेना के लिए काम कर रहे थे. छोटा भाई सीमा पर देश की रक्षा के लिए तैनात था और बड़ा भाई जबलपुर में सेना के लिए गोला-बारूद बना रहा था.
लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए.इन्हीं में से एक हैं शहीद राजेश औरंग.राजेश के भाई देवाशीष जबलपुर के आयुध निर्माणी खमरिया में हैं.
राजेश और देवाशीष औरंग मूलत: पश्चिम बंगाल के मानेगांव के रहने वाले हैं. राजेश बिहार रेजिमेंट में थे और फिलहाल वो भारत-चीन सीमा पर तैनात थे. शहीद राजेश के भाई देवाशीष ने बताया उनके पास बिहार रेजिमेंट के हेड क्वार्टर से कॉल आया. उन्हें बताया गया कि चाइना बॉर्डर पर हुए विवाद के दौरान उनके भाई राजेश औरंग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस झड़प में राजेश वीरगति को प्राप्त हुए हैं. उनके पार्थिव शरीर को विशेष विमान से ग्रह ग्राम मानेगांव पहुंचाया जा रहा है.खबर मिलते ही देवाशीष रुके नहीं. वो सड़क मार्ग से सीधे मानेगांव (पश्चिम बंगाल) रवाना हो गए.
जाने से पहले देवाशीष ने बताया कि उनके भाई राजेश औरांग का सपना हमेशा ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का था. वह हमेशा से ही इस ओर खुद के साथ-साथ दूसरों को प्रेरित करते रहते थे.
दोपहर को जैसे ही चाइना बॉर्डर पर कर्नल और जवानों की शहादत से जुड़ी खबर आई देश के साथ शहर भी सन्न रह गया. जबलपुर के लिए तो गर्व और दुख दोनों के पल थे. जैसे ही राजेश औरंग के शहीद होने की खबर उनके भाई देवाशीष को मिली, उसके बाद पूरे शहर में फैल गयी. बेशक एक सैनिक परिवार के लिए यह गर्व का विषय होता है कि अगर उनके परिवार का कोई सदस्य देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दे. देवाशीष को अपने छोटे भाई के जाने का दर्द तो है लेकिन वो देश के लिए शहीद हुआ इसका गर्व भी है. एक भाई गलवान घाटी पर चीनी सेना को ललकार रहा था तो दूसरा भाई आयुध निर्माणी खमरिया में सेना के लिए गोला बारूद बनाने में जुटा था.