चर्चा के लिए भारत आ रहे ईरान के मंत्री, अमेरिकी प्रतिबंधों से कैसे निपटें?

 नई दिल्ली 
अमेरिका ने दुनियाभर के देशों से ईरान के साथ संबंधों को खत्म करने के साथ ही तेल न खरीदने को कहा है। भारत पर भी दबाव बढ़ रहा है, इस बीच ईरान अगले हफ्ते अपने उपविदेश मंत्री अब्बास अराकची को नई दिल्ली भेज रहा है। दरअसल, 4 नवंबर से प्रभावी होनेवाले अमेरिकी प्रतिबंध से पहले भारत और ईरान को इससे निपटने का सबसे माकूल रास्ता निकालना है।  

अराकची का दौरा महत्वपूर्ण है क्योंकि ईरान न्यूक्लियर डील या जॉइंट कॉम्प्रिहेन्सिंव प्लान ऑफ ऐक्शन के वह एक प्रमुख व्यक्ति हैं। उनका भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब हाल ही में ईरान के एक वरिष्ठ राजनयिक ने भारत को धमकी भरे लहजे में कहा था कि अगर उसने (भारत) तेल खरीदना कम किया तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा। 

आपको बता दें कि ईरान से तेल आयात जून में 15.9 फीसदी कम रहा, हालांकि फ्री शिपिंग और 60 दिन का क्रेडिट पीरियड बढ़ाने के बाद भारत ने इनटेक में वृद्धि की है। मीडिया में बयान सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने ईरान के राजनियक से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। 

 
इसी हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने संकेत दिया कि कुछ देशों को प्रतिबंधों से छूट मिल सकती है। पोम्पियो ने कहा, 'कुछ चुनिंदा देश ऐसे होंगे जो अमेरिका से आकर प्रतिबंधों से राहत के लिए कहेंगे। हम इस पर विचार करेंगे।' 

 
सूत्रों का कहना है कि वॉशिंगटन इराक से होकर ग्राहकों तक तेल पहुंचाने से ईरान को रोकना चाहेगा। इसके अलावा भी वह कई कदम उठा सकता है। हालांकि अगर अमेरिका भारत को 'महत्वपूर्ण कमी' को लेकर कुछ छूट देता है तब भी भारत के लिए मुश्किल होगी। दरअसल, भारत के लिए चाबहार और सेंट्रल एशियन कनेक्टिविटी कॉरिडोर को लेकर अपने हितों की रक्षा करने की चुनौती है। 

फिलहाल ईरान को दुनिया के सामने मौजूद आपूर्ति समस्या से मदद मिल सकती है। US शेल का निर्यात हो रहा है लेकिन खराब पाइपलाइन ढांचे के कारण बड़ी समस्या हो रही है। उधर, सऊदी अरब ने 20 लाख बैरल प्रतिदिन अतिरिक्त तेल आपूर्ति का वादा किया है लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि यह 10 लाख से ज्यादा नहीं हो सकता है।