चाय पीने वाले होते हैं ज्यादा फोकस्ड, यह है वजह

चाय पीने वाले होते हैं ज्यादा फोकस्ड, यह है वजह

अभी तक आपने ज्यादातर हेल्थ कॉन्शस लोगों को यही कहते सुना होगा कि चाय पीना सेहत के लिए सही नहीं है। सिर्फ सर्दी से बचने के लिए कभी-कभार अदरक वाली चाय पी जा सकती है। लेकिन क्या आपने कभी किसी के मुंह से यह सुना है कि एक गरम चाय की प्याली पीने वालों में बहुत सी पॉजिटिव चीजें देखने को मिलती है। एक हालिया स्टडी की मानें तो वास्तव में चाय पीने वालों में रचनात्मकता यानी क्रिएटिविटी और एकाग्रता शक्ति यानी फोकस करने की क्षमता दूसरों के मुकाबले बेहतर होती है।

चाय पीने वालों के लिए खुशखबरी
स्टडी के मुताबिक गर्म चाय पीने के बहुत से फायदे हैं। ऐसे में जो लोग चाय पीते हैं उनके लिए यह खुशखबरी है। चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि नियमित रूप से चाय का सेवन करने वाले लोगों के लिए ध्यान और मानसिक स्पष्टता में सुधार होता है जिससे मानसिक रचनात्मकता को भी बढ़ावा मिलता है। तो फिर तैयार हो जाएं क्योंकि अब आपके पास अपना चाय का कप थामने के लिए एक और बड़ा कारण है।

वास्तव में क्या होता है?
चाय में कैफीन और थीनिन जैसे पदार्थ मौजूद होते हैं, जिन्हें ध्यान, सावधानी और सतर्कता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। अध्ययन के अनुसार, एक कप चाय खत्म करने के कुछ ही पलों के भीतर ही दिमाग में रचनात्मक रस का प्रवाह महसूस किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिकों की एक टीम ने 23 वर्ष की औसत आयु के 50 छात्रों पर दो अलग-अलग परीक्षण किए। आधे छात्रों को एक गिलास पानी दिया गया, जबकि बाकी आधे छात्रों को निगरानी प्रक्रिया शुरू करने से पहले पीने के लिए एक कप ब्लैक टी दी गई। फूड क्वॉलिटी ऐंड प्रिफरेंस जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के नतीजे बताते हैं कि दिन भर में चाय का सेवन करने से रचनात्मकता का स्तर बढ़ता है। अध्ययन में कहा गया है कि यह प्रक्रिया रचनात्मकता वाले कार्य को समझने में योगदान देती है। साथ ही मानव अनुभूति में सुधार के लिए एक नया तरीका प्रदान करती है। यह मस्तिष्क के ध्यान और संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाने में कैफीन और थीनिन की भूमिका का उल्लेख करती है।

अध्ययन के निष्कर्ष
परीक्षण के लिए प्रतिभागियों को बिल्डिंग ब्लॉक्स के जरिए 'आकर्षक और रचनात्मक' निर्माण करने का काम दिया गया। जबकि दूसरे को एक काल्पनिक नूडल रेस्तरां को 'बेहतर' नाम देने की जरूरत थी। पूरी प्रक्रिया को कुछ दूसरे छात्रों द्वारा रचनात्मकता के स्तर के आधार पर आंका गया, जो प्रारंभिक अध्ययन का हिस्सा नहीं थे। अध्ययन में आगे उल्लेख किया गया है कि यह सब पूरी तरह से चाय की उस मात्रा पर निर्भर करता है, जो एक व्यक्ति रोजाना लेता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि किसी भी चीज की अधिकता खराब होती है और यही नियम चाय के साथ भी लागू होता है।