चुनाव के लिए कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर लगाई रोक, प्रदेश में इस तरह का पहला मामला

चुनाव के लिए कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर लगाई रोक, प्रदेश में इस तरह का पहला मामला

दतिया 
जिले में आचार संहिता लागू होने के बाद सरपंचों ने रेत खदानों को ठेके पर उठा दिया था, जिससे चुनाव प्रभावित होने एवं कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना बढ़ गई। ऐसे में चुनाव निष्पक्ष कराने के लिए दतिया कलेक्टर ने जिले की सभी रेत खदानों में उत्खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जिसके तहत कोई भी 13 दिसंबर तक न तो रेत का उत्खनन कर पाएगा और न ही मशीनों को उपयोग कर पाएगा। कलेक्टर ने धारा 144(2) के प्रावधानों के तहत एक पक्षीय आदेश जारी किया है। 

दतिया जिले के भांडेर, दतिया एवं सेंवढ़ा अनुविभागीय अधिकारी ने दतिया कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को रिपोर्ट भेजी थी कि सरपंचों ने आचार संहिता के बाद रेत खदानों को व्यापारियों के हाथों में सौंप दिया है। जिससे क्षेत्र में सीमावर्ती राज्य एवं जिलों से लोगों को आना-जाना बढ़ गया है। साथ ही चुनाव प्रभावित करने के लिए धन जुटाने की भी शिकायत है। इससे निष्पक्ष चुनाव कराने में व्यवधान हो सकता है साथ ही शांति भंग हो सकती है। जिले के तीनों अनुविभागीय अधिकारियों ने जिला निर्वाचन अधिकारी से चुनाव होने तक रेत खदानों पर प्रतिबंधन लगाने की अनुशंसा की थी। साथ ही रतनगढ़ मेला अधिकारी एवं जिला पंचायत सीईओ ने भी कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा कि मेले के दौरान लाखों की भीड़ आती है। वर्ष 2006 एवं 2013 में दो हादसे हो चुके हैं। ऐसे में मंदिर मार्ग पर भारी वाहनों का प्रतिबंध एवं रेत खनन पर परिवहन पर रोक लगाई जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में एक रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी भेजी। कलेक्टर ने जारी आदेश में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति दतिया में पंचायतों को आवंटित रेत खदानों से 13 दिसंबर तक रेत खनन एवं परिवहन नहीं करेगा। न ही रेत का परिवहन कर संग्रहण करेगा। पुलिस अधीक्षक को आदेशित किया है कि पुलिस बल उपलब्ध कराकर खदानें बंद कराएं। 

दतिया कलेक्टर द्वारा निष्पक्ष चुनाव के मद्देनजर रेत खदानों रोक लगाना प्रदेश में अपनी तरह का पहला आदेश है। इस आदेश के बाद राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि रेत के अवैध उत्खनन से चुनाव प्रभावित करने और धन जुटाने की कोशिश होती है।