जी-7 में ईरान की नाटकीय एंट्री, भारत को मिलेगा इसका फायदा?

जी-7 में ईरान की नाटकीय एंट्री, भारत को मिलेगा इसका फायदा?

फ्रांस    
दक्षिणी फ्रांस के बिआरिट्ज शहर में दुनिया के जाने-माने राजनेता वर्ल्ड पॉलिटिक्स पर चर्चा कर रहे हैं और आने वाले सालों में दुनिया की राजनीति किस ओर जाएगी इसकी दशा-दिशा तय कर रहे हैं. इस बीच यहां पर एक ऐसा मेहमान पहुंचा जिससे सभी चौक गए. ये मेहमान थे ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ. ईरान न तो जी-7 का सदस्य है और न ही इस बार की बैठक में वो विशेष आमंत्रित सदस्य था. लेकिन यहां पर जावेद जरीफ की अप्रत्याशित और नाटकीय एंट्री सबको चौंका गई.
अप्रत्याशित और नाटकीय रूप से ईरान की एंट्री

माना जा रहा है कि ईरान का इस मीटिंग में अचानक पहुंचना ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका से चल रहे उसके विवाद का हल निकालने की कोशिश है. जावेद जरीफ को इस कार्यक्रम में अप्रत्याशित रूप से लाने के सूत्रधार हैं जी-7 के मौजूदा अध्यक्ष फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों. उन्होंने जी-7 बैठक की पूर्व संध्या पर पेरिस में जावेद जरीफ से बात की. राष्ट्रपति मैक्रों ईरान और अमेरिका बातचीत की टेबल पर लाने की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं. ईरान और अमेरिका के बीच तनाव घटाने के मकसद से फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने ईरानी समकक्ष हसन रूहानी ने कई बार फोन पर बातचीत की है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही बिआरिट्ज शहर में मौजूद हैं. इन दोनों नेताओं के एक स्थान पर मौजूद होने से अब कई सकारात्मक गुंजाइश पैदा होने लगी है.


अमेरिका की ओर से नरमी के संकेत

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने ट्वीट किया, "जरीफ बिआरिट्ज पहुंच चुके हैं. वे ईरान और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच हो रही बातचीत को आगे बढ़ाएंगे." फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने जावेद जरीफ की मौजूदगी की पुष्टि की, लेकिन कहा कि अमेरिका की ओर से दोनों देशों के बीच बातचीत का कोई पूर्व निर्धारित शेड्यूल नहीं है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन मंचिन ने कहा कि ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि यदि ईरान बैठकर बात करना चाहता है तो वे किसी तरह का शर्त नहीं रखेंगे.

चीन-भारत को तेल बेचने की इजाजत मिले

बता दें कि ट्रंप द्वारा ईरान पर ज्यादा दबाव डालने की नीति का यूरोप के नेता आलोचना कर चुके हैं. यूरोप के नेताओं का कहना है कि ऐसा कर अमेरिका मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ा रहा है. मैंक्रों ने अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि ईरान को प्रतिबंधों में थोड़ी राहत दी जाए, ताकि ईरान चीन और भारत को कच्चा तेल बेच सके. बता दें कि जी-7 शिखर सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों को ईरान से परमाणु समझौते को लेकर वार्ता का नेतृत्व सौंपा गया है. फ्रांस के इस कदम को ईरान को बातचीत के टेबल पर लाने की दिशा में कदम माना जा रहा है. बता दें कि पिछले साल ट्रंप ने ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को वापस खींच लिया था. इसके बाद अमेरिका और ईरान के संबंध बिगड़ गए थे. अगर ईरान को भारत और चीन को तेल बेचने की इजाजत मिलती है तो यह भारत के लिए भी फायदेमंद रहेगा.