ठग्स ऑफ हिंदोस्तान मूवी रिव्यू

ठग्स ऑफ हिंदोस्तान मूवी रिव्यू

हमसे दोस्ती कर लीजिए मिर्जा साहब। हमारी दुश्मनी अच्छी नहीं है! साम दाम दंड भेद के दम पर कुछ इसी तरह अंग्रेजों ने भारत के राजाओं को धोखा देकर हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया था।

फिल्म ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान सन 1795 के उस दौर की कहानी बताती है, जब हिंदुस्तान की तमाम रियासतों पर अंग्रेजों का राज हो चुका है और बची-खुची रियासतों पर भी उनकी नजर थी। ऐसी ही एक रियासत रौनकपुर को अंग्रेज कमांडर जॉन क्लाइव (लॉयड ओवेन) धोखे से कब्जा लेता है। वहां के नवाब मिर्जा सिकंदर बेग (रोनित रॉय) के परिवार को अंग्रेज मार देते हैं, लेकिन उसकी बेटी जफीरा (फातिमा सना शेख) को राज्य का वफादार खुदाबख्श आजाद (अमिताभ बच्चन) बचा कर ले जाता है। करीब एक दशक तक आजाद छुपकर अपने लोगों को इकट्ठा करता है और फिर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ देता है। इस जंग में जफीरा भी अपने परिवार का बदला लेने के लिए उसके साथ है।

आजाद की बढ़ती ताकत से परेशान अंग्रेज उसे उसी के अंदाज में मात देने के लिए किसी शातिर आदमी को तलाशते हैं। उनकी तलाश फिरंगी मल्लाह (आमिर खान) पर पूरी होती है। फिरंगी अवध का रहने वाला एक छोटा-मोटा ठग है, जो किसी भी तरह पैसा कमाने की जुगत में रहता है। वह अंग्रेजों के लिए ठगों को पकड़वाने का काम करता है। वहीं सुरैया (कैटरीना कैफ) एक नाचने वाली है। फिरंगी उसका आशिक है। अंग्रेजों की योजना के मुताबिक फिरंगी ठगों की सेना में अंग्रेजों का मुखबिर बनकर शामिल हो जाता है। क्या फिरंगी अंग्रेजों के प्लान को पूरा कर पाता है? या फिर वह भी उन्हें भी ठग लेता है? इसका जवाब आपको सिनेमाघर में जाकर ही मिल पाएगा। 

पर्दे पर आमिर और अमिताभ को साथ देखना उनके फैंस के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं है। अमिताभ बच्चन ने इस उम्र में शानदार एक्शन सीन्स वाला रोल किया है। पानी के जहाजों पर उनके लड़ाई के सीन जबरदस्त हैं। मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर हमेशा की तरह अपने रोल में पूरी तरह रम गए हैं। एक मसखरे धोखेबाज ठग के किरदार को उन्होंने बखूबी निभाया है। फातिमा सना शेख को भी दंगल के बाद करियर की शुरुआत में ही एक और बड़ी फिल्म मिली है। फिल्म की असल हीरोइन वही हैं। कैटरीना कैफ को जरूर फिल्म में बहुत कम फुटेज मिली है। वह महज दो गानों तक ही सीमित हैं। जॉन क्लाइव के रोल में लॉयड ओवेन भी जोरदार लगे हैं। 

आमिर खान और अमिताभ बच्चन को पहली बार फिल्मी पर्दे पर साथ लाने वाली फिल्म ठग्स ऑफ हिंदोस्तान के पहले अंग्रेज ऑफिसर फिलिप मिडोज टेलर की बेस्टसेलर नॉवल कंफेशंस ऑफ ए ठग पर आधारित होने की चर्चा थी। लेकिन अब यह फिल्म पूरी तरह कल्पना आधारित बताई जा रही है। हालांकि फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद से ही फैंस ने इस फिल्म की तुलना पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन की फिल्मों और आमिर खान की तुलना कैप्टन जैक स्पेरो यानी कि जॉन डीप से करनी शुरू कर दी थी। कुछ सीन्स में आमिर जैक का देसी वर्जन लगते भी हैं। कहीं-कहीं फिल्म भी देसी पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन लगती है, तो लड़ाई के कुछ एक्शन सीन्स बाहुबली फिल्म की कॉपी लगते हैं।

फ़िल्म के डायरेक्टर विजय कृष्ण आचार्य ने अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने के लिए कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा जोड़ने में काफी मेहनत की है, लेकिन अफसोस कि वह उसे सही तरीके से संभाल नहीं पाए। फिल्म की कहानी काफी कमजोर है। वहीं डायरेक्शन में भी वह धूम 3 जैसा जादू नहीं जगा पाए। पहले हाफ में फिल्म थोड़ी ठीक लगती है, लेकिन दूसरे हाफ में कहानी बोझिल हो जाती है। फिल्म में कुछ सस्पेंस भी है, लेकिन वह आपको प्रभावित नहीं करता। फिल्म की कहानी का आइडिया आप पहले ही लगा लेते हैं। आमिर खान फिल्म में ठगों और अंग्रेजों दोनों को इतनी बार ठगते हैं कि आप आखिर तक सोचते रहते हैं कि उन्होंने आखिर में किसे ठगा? लेकिन क्लाइमेक्स में आपको पता लगता है कि आमिर ने इस बार भव्य सेट्स, बड़ी स्टारकास्ट और बड़े-बड़े पानी के जहाज दिखा कर बेहद खूबसूरती से दर्शकों को ठग लिया!

फिल्म की काफी शूटिंग जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में हुई है। इसके अलावा, जहाज वाले लड़ाई के सीन माल्टा में शूट किए गए हैं। मानुष नंदन की सिनेमटोग्रफी कमाल की है, जो कि आपको रोमांचित कर देती है। खासकर पानी के जहाजों पर लड़ाई के सीन काफी रोमांचक हैं। फिल्म के सेट काफी भव्य हैं। लेकिन 1795 के दौर को भव्य तरीके से दिखाने की चाहत में ही शायद इसका बजट 350 करोड़ के करीब पहुंच गया। वहीं कमजोर कहानी पर पौने तीन घंटे की फिल्म की लंबाई भी आपको काफी ज्यादा लगती है। 

फिल्म का म्यूजिक अजय-अतुल ने दिया है। हालांकि इसके तीनों ही गाने कुछ खास नहीं हैं।फिल्म का कोई भी गाना रेडियो मिर्ची के टॉप चार्ट में शामिल नहीं है। फिल्म को आईएमडीबी पर 10 में से 6.2 रेटिंग मिली है। बड़े स्टार्स की मौजूदगी के बावजूद ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान की कमजोर स्क्रिप्ट और कहानी आपको निराश करती है। अगर आप आमिर खान और अमिताभ बच्चन के जबरदस्त फैन हैं, तो इस फिल्म को महज टाइम पास के लिए देख सकते हैं।