दिल्ली में कोरोना वायरस का कहर जारी, यूके वैरिएंट के मामले मिलने से बढ़ी चिंता

दिल्ली में कोरोना वायरस का कहर जारी, यूके वैरिएंट के मामले मिलने से बढ़ी चिंता


    
 नई दिल्ली,
देश की राजधानी दिल्ली में चली कोरोना की लहर अब आंधी का रूप ले चुकी है. पिछले कुछ दिनों मे दिल्ली में कई लोगों की जान इस वायरस ने ले ली है. लेकिन अब जो नया डाटा सामने आया है वह और भी परेशान करने वाला है. दिल्ली में कोरोना के यूके वैरिएंट ने दस्तक दे दी है.

नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) के चीफ डॉ. सुजीत सिंह का कहना है कि दिल्ली में मार्च के आखिरी हफ्ते में जो कोरोना के सैंपल आए, उनमें से 50 फीसदी में कोरोना का यूके वैरिएंट था. इस वक्त दिल्ली में कोरोना का यूके वैरियंट और डबल म्यूटेंट वैरिएंट मौजूद है.

डॉ. सुजीत सिंह के मुताबिक, दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र में भी 50 फीसदी से अधिक सैंपल डबल म्यूटेंट (B1.617 ) से जुड़े हैं.

आपको बता दें कि भारत में कोरोना वायरस का संकट अब विकराल रूप ले चुका है. कोरोना के सबसे पहले वैरिएंट के अलावा देश में इस वक्त कोरोना के यूके, अफ्रीकी और ब्राजील वैरिएंट एक्टिव हैं. इतना ही नहीं, भारत में एक नया वैरिएंट पाया गया है, जिसके बंगाल में सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में यूके वैरिएंट का असर मार्च से ही देखने को मिल गया था. मार्च के दूसरे हफ्ते में दिल्ली में यूके वैरिएंट के 28 फीसदी मामले थे, लेकिन मार्च के आखिरी हफ्ते तक ये आंकड़ा 50 फीसदी तक पहुंच गया.


पश्चिम बंगाल में जो कोरोना का नया वैरिएंट मिला था, वह देसी वैरिएंट है. B.1.618  के इस वैरिएंट के अबतक बंगाल और महाराष्ट्र में केस मिल पाए हैं. हालांकि, चिंता की बात ये है कि भारत के इस देसी वैरिएंट ने कई देशों में अपनी दस्तक दे दी है. बेल्जियम ने बीते दिन जानकारी दी कि उनके यहां कोरोना का भारतीय वैरिएंट पाया गया है.

दिल्ली में इस वक्त कोरोना के कारण इतने बुरे हालात हैं कि बड़े से बड़े अस्पताल में बेड्स और ऑक्सीजन की किल्लत है. दिल्ली के कई अस्पताल ऐसे हैं कि जहां ऑक्सीजन का कुछ घंटों का स्टॉक है. मैक्स, सर गंगाराम जैसे अस्पताल में अंतिम वक्त में जाकर ऑक्सीजन की सप्लाई हो पाई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पीएम मोदी से अपील की है कि दिल्ली को ऑक्सीजन दी जाए.

दिल्ली में लगातार एक्टिव केस की संख्या बढ़ने की वजह से बेड्स में कमी हो रही है. दिल्ली के ही जीटीबी अस्पताल के हालात ऐसे हैं कि अस्पताल के कैंपस में बाहर ही लोगों को प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है.