देवरिया में सरकार के लाख दावे के बाद भी गन्ना किसान परेशान

देवरिया में सरकार के लाख दावे के बाद भी गन्ना किसान परेशान

देवरिया
पूर्वी उत्तर प्रदेश का कभी चीनी का कटोरा कहा जाना वाला देवरिया में चीनी मिलों की कमी के कारण गन्ना किसान परेशान है। देवरिया तथा कुशीनगर जब एक जिले में समाहित थे तो 14 चीनी मिलें हुआ करती थी। देवरिया की एक एक कर यहां की चीनी मिले बंद होती गई। वर्तमान में यहां एशिया की सबसे पुरानी चीनी मिल का गौरव प्राप्त प्रतापपुर चीनी मिल चल रही है। सरकार के लाख दावे के बावजूद चीनी मिलों के बंद होने से किसान आज भी परेशान है। 

जिला गन्ना अधिकारी कृष्ण कुमार ने बताया कि देवरिया जिले में 11 सोसाइटियों से जुड़े करीब एक लाख चार हजार छ: सौ चौसठ किसान हैं। वर्ष 2018-19 में यहां कुल दस हजार आठ सौ 11 हैक्टेयर भूमि में गन्ना बोया गया है। जिसे कुशीनगर की ढाड़ा हाटा चीनी मिल तथा प्रतापपुर फैक्ट्री की 72 गन्ना क्रय केंद्रों द्वारा खरीदा जाता है। उन्होंने बताया कि मांग और खपत के अनुसार किसानों को विभिन्न तिथियों में गन्ना गिराने के लिए पर्ची निर्गत किया जा रही है। किन्हीं कारणों से किसानों गन्ना समय पर नहीं तौल हो पाने की दशा में स्थानीय कर्मचारी किसानों के गन्ना किसानों के गन्ना तौल कराने के लिए लगे हुए हैं।

गौरतलब है कि इस सत्र में किसानों को दी गयी पर्ची पर छह दिन की अवधि गन्ना गिराने के लिए है, लेकिन किसानों को समय से मजदूर न मिलने समेत कई कारणों से बहुत से किसान अपनी गन्ना समय से नहीं गिरा पाते थे। ऐसी दशा में एक सप्ताह पूर्व तक पर्ची को गन्ना समितियों के माध्यम से कोर इंडिया वेंडर के पास भेजी जाती थी, जिसे वेंडर इंडेन्ट के अनुसार पुन: पर्ची देता था। इस प्रक्रिया में छह दिन से 12 दिन लग जाते थे। किसान का गन्ना लदा ट्राली इस अवधि तक केंद्र पर खड़ा रह जाने से अत्यधिक आर्थिक नुकसान होता है। कुमार ने बताया कि इस सत्र में छह दिन की अवधि की पर्ची किसानों दी गई थी। किसानों की समस्याओं को देखते हुए छह दिन पर्ची की समय सीमा को को देखते हुए इसमें समय सीमा पर परिवर्तन किया गया है।