देश के इन दो स्कूलों में गांधी टोपी पहन पढ़ाई करते हैं स्टूडेंट्स

देश के इन दो स्कूलों में गांधी टोपी पहन पढ़ाई करते हैं स्टूडेंट्स

नरसिंहपुर
हर साल की तरह इस साल भी पूरे देश में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है. सादगी और अहिंसा की मिसाल भी कायम कर चुके महात्मा गांधी की सैकड़ों कोशिशों, आदतों से देश का हर वर्ग आज भी प्रेरित है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर न्यूज18 हिंदी आपको देश में मौजूद ऐसे दो स्कूलों के बारे में बताने जा रहा है, जहां के स्टूडेंट्स गांधी टोपी पहनकर स्कूल आते हैं.

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गांव में शासकीय माध्यमिक बालक शाला में पढ़ने वाला पहली से 8वीं तक का हर बच्चा गांधी टोपी पहनकर स्कूल आता है. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के इस सरकारी स्कूल की स्कूल ड्रेस का हिस्सा आज भी गांधी टोपी है. इस विद्यालय में सूत कातने वाले चरखे भी मौजूद हैं, यह बात अलग है कि अब चरखे चलते नहीं. स्कूल की ड्रेस सफेद शर्ट और नीली पेंट और गांधी टोपी है.

बच्चे बापू के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजाराम' को नियमित रूप से प्रार्थना में गाते हैं. हर बच्चे के सिर पर गांधी टोपी तब तक रहती है जब तक वह स्कूल परिसर में रहे.

स्कूल के एक शिक्षक संदीप शर्मा के मुताबिक गांधी जी ने असहयोग आंदोलन के दौरान गांव का दौरा किया था. तब से गांव वालों ने टोपी पहनना शुरू किया और तभी से स्कूल परंपरा का पालन कर रहे हैं. ये शिक्षक पहले इस स्कूल में पढ़ते थे और अब पढ़ाते हैं. उन्होंने टोपी तब से पहनना शुरू की थी, जब वे स्कूल में छात्र थे.

स्कूल दीवार पर अंकित तारीख के मुताबिक, 3 अक्टूबर, 1945 को महात्मा गांधी स्कूल पहुंचे थे. वहां लिखा है, ‘सत्य और अहिंसा के संपूर्ण पालन की भरसक कोशिश करूंगा, बापू का आशीर्वाद.’

रिकॉर्ड के अनुसार, स्कूल 1844 में शुरू किया गया था. लगभग 175 साल पुराने इस स्कूल और नरसिंहपुर में बच्चे और स्थानीय लोग गांधी टोपी पहनने में गर्व महसूस करते हैं. इस विद्यालय के चार शिक्षकों नरेंद्र शर्मा, महेश शर्मा, शेख नियाज और देव लाल बुनकर को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.

राष्ट्रपिता गांधी के आदर्शों का पालन करते हुए मध्य प्रदेश के हरदा जिले में शासकीय स्कूल में पढ़ने वाले छात्र स्कूल में गांधी टोपी पहनने की परंपरा का पालन कर रहे हैं. यह स्कूल जिले की शान है और यह इलाके में टोपी वाला स्कूल के नाम से जाना जाता है.

हरदा जिले के छिपावड़ गांव में स्थित 'शासकीय उच्चतर बुनियादी शाला' स्कूल की स्थापना 1 जनवरी 1892 को हुई थी. उस समय स्कूल में गांधी टोपी पहनने की शुरुआत स्कूल में परंपरा का रूप ले चुकी है.

संभाग के सबसे पुराने स्कूल में 1892 से लेकर आज तक स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्रों का रिकॉर्ड सुरक्षित है. स्कूल में 8वीं तक कक्षाएं संचालित होती हैं, जिसमें लगभग 250 छात्र पढ़ते हैं.