नाथ कैबिनेट : राजनीतिक प्रकरण वापस होंगे

भोपाल
मप्र में पिछले दिनों किए गए राजनीतिक आंदोलनों, धरना-प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए राजनीतिक मामले वापस लिए जाएंगे। कमलनाथ सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में यह फैसला लेते हुए तय किया गया है कि किसान, अनुसूचित जाति जनजाति और राजनीतिक दलों के ऊपर धरना प्रदर्शन आंदोलन को लेकर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएंगे। इसके लिए जिले में कलेक्टर एसपी और जिला अभियोजक की कमेटी बनेगी। कमेटी स्कूटनी करके प्रस्ताव गृह विभाग को भेजेगी। इसके बाद आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।
कैबिनेट बैठक के बाद विधि व जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने मीडिया को बताया कि पिछले 15 सालों में राजनीतिक दुर्भावना के चलते हजारों की तादाद में मुकदमे दर्ज हुए हैं। अकेले भोपाल में 308 मामले दर्ज हुए हैं। पूरी संख्या जिलों में कार्रवाई होने के बाद सामने आ पाएगी। बसपा से लेकर अन्य दल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर भी जो झूठे मामले दर्ज हुए हैं वे भी वापस लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने फर्जी मुकदमे वापस लेने का फैसला करके एक और वचन पूरा किया है। यह मुद्दा विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में था।
इसके साथ ही मुख्य मंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट में निर्देश दिए हैं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन के भुगतान में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए। कलेक्टर इसको गंभीरता से देखें। यदि कहीं शिकायत आती है तो उसके लिए कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। कैबिनेट में जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना की समीक्षा भी की गई। मंत्रियों ने आवेदन पत्र नहीं पहुंचने की बात उठाई तो कुछ मंत्रियों ने कट ऑफ डेट को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति का मुद्दा रखा।
इस दौरान साफ किया गया कि 31 मार्च 2018 तक लिए गए कर्ज की माफी मिलेगी। बताया गया कि यदि किसान ने 12 दिसंबर 2018 तक आंशिक या पूर्ण रूप से कर चुका दिया है तो वह भी कर्ज माफी के दायरे में आएगा। किसी भी पात्र किसान को आवेदन भरने से वंचित नहीं रखा जाएगा। 5 फरवरी तक फॉर्म जमा होंगे। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा कि विधायक और शासकीय अधिकारी-कर्मचारी कर्ज माफी योजना के क्रियान्वयन पर पूरी तरह से नजर रखें और सक्रिय भागीदारी भी करें।