निवेश में फंसना नहीं है, तो इन बातों का रखें ध्यान
नई दिल्ली
क्या आप टैक्स-सेविंग करने वाले किसी पॉलिसी की तलाश में हैं? अगर आपको एक ऐसी पॉलिसी मिले, जिसमें नियमित समयांतराल पर टैक्स फ्री इनकम, मच्योरिटी पर एकमुश्त रकम के साथ ही लाइफ कवर भी मिले तो कैसा हो?
अगर, 35 साल का एक व्यक्ति किसी पॉलिसी में 20 सालों तक हर साल 65 हजार रुपये का निवेश करता है, जिसमें उसे 1.5-1.5 लाख के चार इंस्टालमेंट्स (चार साल, आठ साल, 12 साल और 16 साल बाद) मिलते हैं और 20 साल की मच्योरिटी के बाद पांच लाख रुपये की एकमुश्त रकम मिलती है। इसके अलावा, लगभग 3.8 लाख रुपये का एक सिंपल रिविजनरी बोनस भी मिलता है। यही नहीं, पॉलिसी की अवधि के दौरान अगर निवेशक की मौत हो जाती है, तो उसके नॉमिनी को 10 लाख रुपये भी मिलता है।
सुनने में अच्छा है? पहली नजर में, एक बड़ी जीवन बीमा कंपनी के इस मनी-बैक प्लान को सुनकर वास्तव में इसे खरीदने का मन करता है। लेकिन जब इसकी तह में जाकर इसकी वास्तविकता से रूबरू होंगे, तो आप ठगा सा महसूस करेंगे। हम पाते हैं कि इस प्लान में इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न महज 2.23 फीसदी है, जो सेविंग बैंक खाते पर मिलने वाले ब्याज से भी कम है।
जरा सोचिए!
क्या आप किसी ऐसे प्लान में निवेश करेंगे, जिसमें 3 फीसदी से भी कम रिटर्न मिलता हो? बावजूद इसके टैक्स प्लानिंग सीजन के दौरान इस तरह के लाखों मनी बैक पॉलिसी और इंडॉमेंट प्लान हर साल बेचे जाते हैं। इसका कारण यह है कि औसत निवेशकों के पास किसी पॉलिसी की तह में जाकर उसके बारे में पूरी जानकारी लेने का वक्त नहीं होता है। एंप्लॉयर द्वारा इन्वेस्टमेंट प्रूफ मांगे जाने और पॉलिसी एजेंटों की लुभावनी बातों पर भरोसा करके लोग ऐसे प्लान खरीद लेते हैं।
क्या होता है परिणाम?
इसका परिणाम यह होता है कि बाद में भारी तादाद में इंश्योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायतें की जाती हैं। इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन को मिलने वाली अधिकांश शिकायतें पॉलिसी से जुड़ी भ्रामक जानकारियों को लेकर होती हैं। एग्जिक्युटिव काउंसिल ऑफ इंश्योरर्स की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश मामलों में खरीदारों को लंबी अवधि के प्लान बेचे जाते हैं।
आज हम आपको वेल्थ मैनेजरों और बैंकों के एजेंटों की कुछ ऐसी ही भ्रामक बातों से अवगत करा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल वे पॉलिसी की बिक्री के लिए करते हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और ग्राहकों को फंसाने के उनके तरीके को समझिए।