पूजा के दौरान घर में बजानी चाहिए घंटी, इसके पीछे है ये वजह
जब भी घर में पूजा होती है तो चाहे वो सुबह की आरती हो या फिर शाम की दीया बत्ती का समय। घंटी जरुर बजाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे आसान तरीका घंटी बजाना होता है। आरती या पूजा के समय घंटी की आवाज से देवताओं की प्रतिमाओं में चेतना जागृत होती है, जिससे पूजा-पाठ अधिक शुभ फल प्रदान करता है। इसके अलावा पूजा के समय घंटी बजाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। आइए जानते है मंदिर के अलावा घर में भी आरती या पूजा के समय क्यों है जरुरी घंटी बजाना?
वातावरण होता है शुद्ध
मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का। वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण के साथ हमारे जीवन में साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। इसलिए मंदिर में प्रवेश करने से पहले या फिर घर में पूजा करते वक्त वातावरण को शुद्ध किया जाता है।
सकारात्मकता आए
यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। घर में सकारात्मक आने से खुशहाली का द्धार खुलता है।
लग जाती है भक्तों की हाजिरी
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
हो सकें दैवीय अनुभूति
घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। कहा जाता है कि मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है। इसी तरह घर पर भी पूजा के समय घंटी बजाने का भी ये ही आशय है ताकि दैवीय उपस्थिति की अनूभूति हो सकें।
ओंकार का उच्चारण
जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद 'ओंकार' के उच्चारण से भी जागृत होता है। शास्त्रों में इस बात को भी लिखा है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।
समस्याओं का होता है अंत
घंटिया चार तरह की होती हैं। हाथ घंटी, घंटा, गरूड़ घंटी और द्वार घंटी। घर में हाथ घंटी ही बजाई जाती है। पूजा के दौरान आरती या पूजा, घंटी और शंख के बजने पर ही पूरी मानी जाती है। घंटी समस्याओं का अंत भी करती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में घंटी रहती है वह घर हमेशा बुरी आत्माओं से व बुरी शक्तियों से भी बचा रहता है।