प्रजनेश बने भारत के नंबर एक खिलाड़ी, आसान नहीं रही राह
पुणे
घुटने की चोट के कारण एक समय उनका करियर रसातल में चला गया था लेकिन प्रजनेश गुणेश्वरन सोमवार को भारत के नंबर एक एकल खिलाड़ी बन गये और अब वह देखना चाहते हैं कि उनके लिये भविष्य के गर्त में क्या छिपा है। ऐसा खिलाड़ी जो 2007 की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान चर्चा में था और जो अच्छी तरह से सीनियर स्तर की तरफ कदम बढ़ा रहा था लेकिन तभी घुटने की चोट के कारण वह परिदृश्य से ही बाहर चले गये। वह 2010 से 2012 तक केवल छह टूर्नामेंट में खेल पाये। जब उन्होंने 2013 में कुछ टूर्नामेंट में हिस्सा लिया तो उन्हें लगा कि बुरा वक्त अब बीत चुका है लेकिन फिर से चोटिल होने के कारण वह 2014 में कोर्ट से बाहर रहे। इसके बाद 2015 में उन्होंने आखिरी बार भाग्य आजमाने की सोची। रीयल एस्टेट व्यवसाय से जुड़े उनके पिता एस जी प्रभाकरण ने उन्हें टेनिस नहीं छोड़ने के लिये मनाया।
आज वह युकी भांबरी (128) और रामकुमार रामनाथन (130) दोनों को पीछे छोड़कर भारत के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बन गये। वह एकल में 110वें नंबर पर हैं। प्रजनेश ने कहा कि यह सच है कि मैं अचानक ही यहां पहुंचा। निश्चित तौर पर यह रातों रात नहीं हुआ। मैंने इसके लिये काफी मेहनत की। मेरा लक्ष्य शीर्ष 100 में जगह बनाने से भी ऊंचे हैं। मैं आज जहां पर हूं मेरी क्षमता उससे भी आगे बढ़ने की है। उन्होंने कहा कि यह निश्चित तौर पर मेरे लिये सर्वश्रेष्ठ सत्र रहा और मैं इस अनुभव का उपयोग रैंंिकग में आगे बढ़ने के लिये करूंगा। मुझे उच्चस्तर पर खेलने के लिये और बेहतर बनने की जरूरत है। जब कोई टूर्नामेंट नहीं चल रहा होगा प्रजनेश तब जर्मनी में अपने कोच बास्टिन सुआनप्रतीप के साथ अभ्यास करेंगे।