प्लेटलेट्स की मदद से हुआ इन्फर्टिलिटी का सफल इलाज
नई दिल्ली
ब्लड में मौजूद प्लेटलेट्स की मदद से इन्फर्टिलिटी का इलाज संभव हो पाया है। एक महिला की गर्भाशय की लाइनिंग बेहद कमजोर और पतली थी, जिसकी वजह से वह मां नहीं बन पा रही थी। डॉक्टरों ने प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (PRP) तकनीक अपनाकर उस महिला की इन्फर्टिलिटी दूर करने में सफलता हासिल की।
अभी एक्सपेरिमेंट लेवल पर है यह तकनीक
दुनिया भर में PRP अभी एक्सपेरिमेंट लेवल पर इस्तेमाल हो रहा है। कहीं पर भी यह इस्टैब्लिस्ड प्रसीजर के तौर पर इस्तेमाल नहीं हुआ है। लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए दिल्ली के डॉक्टरों ने इस तकनीक को यूज किया और महिला के घर में किलकारियां गूंज उठीं।
प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (PRP) तकनीक
शादी के 18 साल बाद भी पूनम मां नहीं बन पा रही थीं। मेडिकल जांच में पाया गया कि उनके यूट्रस की लाइनिंग पतली है, जिस वजह से गर्भ नहीं ठहर रहा है। लेकिन यूट्रस की लाइनिंग को मोटी बनाने के तमाम प्रसीजर और दवा अपनाने के बाद भी जब फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने उन्हें सरोगेसी की सलाह दी। लेकिन पूनम अपने बच्चे की मां बनना चाहती थीं। तब डॉक्टरों ने प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (PRP) तकनीक अपनाने की सलाह दी।
मरीज को 2 बार दी गई PRP थेरपी
इंदिरा आईवीएफ अस्पताल के डॉक्टर शुभदीप भट्टाचार्जी ने कहा कि आमतौर पर यूट्रस की मोटाई 7 से 12 एमएम के बीच होनी चाहिए लेकिन इस मरीज के यूट्रस की मोटाई इलाज के बाद भी 6 एमएम से कम थी। डॉक्टर ने बताया कि PRP एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मरीज के शरीर से ब्लड निकाल कर उसे विशेष तकनीक की मदद से ब्लड कंपोनेंट को अलग किया गया, जिसमें प्लेटलेट्स रिच पदार्थ काफी मात्रा में होते हैं। इसमें ग्रोथ फैक्टर और हॉर्मोन में सुधार की क्षमता होती है। इससे रेसिस्टेंस में सुधार होता है। मरीज को 12वें और 14वें दिन दो बार PRP थेरेपी दी गई। उसकी एंडोमेट्रियल लाइनिंग धीरे-धीरे 6.2 से बढ़कर 6.8 हो गई। 18 वें दिन, उसकी मोटाई 7.4 एमएम तक पहुंच गई जो प्रेग्नेंट होने के लिए पर्याप्त थी।
PRP थेरपी ने आईवीएफ की सफलता को बढ़ाया
इसके बाद हमने आईवीएफ तकनीक की मदद ली और महिला प्रेग्नेंट हो गई। आज वह अपने बच्चे की मां है। PRP थेरेपी ने आईवीएफ की सफलता की दर को बढ़ा दिया है। आजकल इसका इस्तेमाल समय से पहले मेनोपॉज, एग्स की मात्रा कम होना और बड़ी उम्र में मां बनने के लिए किया जा रहा है। PRP थेरपी की मदद से यूट्रस में अंडों की मात्रा और गर्भाशय की मोटाई बढ़ाना संभव हो पाया है।