बालाकोट में एयर स्ट्राइक: पाकिस्तान को भारतीय फाइटर्स प्लेन ने दिया चकमा
नई दिल्ली
पाकिस्तान के बालाकोट में जैश कैंप पर एयर स्ट्राइक के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी कॉम्बेट एयर पैट्रोल को रोकने के लिए 'एक जाल बिछाया' था। IAF के कुछ फाइटर प्लेन पंजाब प्रांत के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर की तरफ बढ़े ताकि असल स्ट्राइक वाले कैंप से पाकिस्तानी एयर पैट्रोल विमानों को दूर रखा जा सके। जबकि असल एयर स्ट्राइक 26 फरवरी को आईएएफ ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट स्थित जैश कैंप पर की थी।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इससे पहले भी रिपोर्ट में बताया था कि मिराज-2000 और सुखोई-30एमकेआई, आईएल-78 और एडब्लूएसीएस (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) एयरक्राफ्ट के अलावा दूसरे एयरक्राफ्ट्स ने फॉरवर्ड एयरबेस की जगह ग्वालियर, आगरा और बरेली से उड़ाने भरीं। इन एयरक्राफ्ट ने इस अचानक हुई स्ट्राइक के लिए गोपनीयता बरतते हुए एलओसी के साथ मुजफ्फराबाद सेक्टर का घुमावदार रूट लिया।
एक सूत्र ने बताया, 'सुखोई-30एमकेआई के इस 'जाल' के लिए भारत के पंजाब से उड़ान भरी ताकि ऐसा दिखाया जा सके कि स्ट्राइक ऑफरेशन को जैश के बहावलपुर स्थित मुख्यालय की तरफ अंजाम दिया जा रहा है। पाकिस्तान इस 'झांसे' में फंस गया और उसके फाइटर्स हवा में इसी रास्ते की तरफ बढ़े।'
उन्होंने आगे बताया, 'इस 'जाल' का परिणाम यह हुआ कि असल में जहां स्ट्राइक की गई वहां कोई भी पाकिस्तानी फाइटर नहीं था...सबसे पास मौजूद फाइटर भी लगभग 150 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर था। इससे पाकिस्तान का वह दावा भी खारिज होता है जिसमें कहा गया था कि आईएएफ फाइटर्स ने बिना कुछ हासिल किए ही बम गिराए। पाक का यह दावा भी उसी तरह गलत साबित हुआ जैसे उसने 27 फरवरी को हवाई हमले में F-16 विमान को इस्तेमाल न करने की बात कही थी।'
इंडियन एयरफोर्स ने सीमा पार जाकर एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया और यह स्ट्राइक सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर तक ही सीमित नहीं रही। सूत्र ने बताया, 'अगर आईएएफ से एलओसी न पार करने को कहा गया होता, जैसा कि 1999 करगिल विवाद के समय निर्देश था, ऐसे में हथियारों का इस्तेमाल करना अलग होता।'