बिहार के शेल्टर होम और स्वाधार गृह जेल से भी बदतर: महिला आयोग

बिहार के शेल्टर होम और स्वाधार गृह जेल से भी बदतर: महिला आयोग

पटना                                                                                                                                                                                                    शुक्रवार को बेतिया में पीड़िता और डीजीपी से मिलने के बाद राजकीय अतिथिशाला में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि शेल्टर होम से निकलने के बाद सरकार ने मुआवजे की राशि दी, पर इसके बाद वह भूल गई। जबकि पीड़िता की काउंसिलिंग और पुनर्वास की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि राज्य के शेल्टर होम और स्वाधार गृह जेल से भी बदतर हैं। सबसे हैरत वाली बात यह है कि पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और आधार कार्ड में उम्र का अंतर है। जबकि पीड़िता खुद को बालिग बता रही है। आधार कार्ड में पीड़िता की उम्र 11 व मेडिकल रिपोर्ट में 15-17 साल के बीच आयी है। इस आधार पर पीड़िता अभी नाबालिग है। वह नाबालिग है तो एक साल पहले बाल विवाह कैसे हो गया। यहां तक कि उसका गर्भपात भी करा दिया गया। उसने छठी क्लास में पढ़ाई छोड़ी थी तो एक साल में ही नौवीं में कैसे पहुंच गई। पूरी व्यवस्था ध्वस्त दिख रही है। बातचीत में पीड़िता पिता के साथ रहना चाहती है। उन्होंने डीजीपी से बात कर पीड़िता की सुरक्षा और काउंसिलिंग देने की बात कही है।