बीजेपी के विजय रथ को रोकने की जिम्मेदारी कमलनाथ पर
भोपाल
बदली परिस्थितियों में मध्य प्रदेश और राजस्थान में क्या कमलनाथ और अशोक गहलोत बीजेपी के विजय रथ को रोक पाएंगे. यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है. सोमवार को एमपी के 7 और राजस्थान की 12 संसदीय सीटों के लिए मतदान हुआ. पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहरा पाना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. पिछली बार मोदी लहर थी. दोनों राज्यों में भाजपा का दबदबा था. लेकिन अब परिस्थितियां बदली हुई हैं. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी सत्ता से बाहर हो चुकी है. दोनों सूबों की सियासी तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. बदले राजनीतिक समीकरण में बीजेपी के लिए अपने पुराने दुर्ग पर कब्जा कायम रख पाना बड़ी चुनौती है.
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कंधे पर इस सीटों को बीजेपी की झोली में जाने से बचाने की बड़ी जिम्मेदारी है. सोमवार को मध्य प्रदेश की सात संसदीय सीटों- दमोह, टीमकगढ़, खुजराहो, सतना, होशंगाबाद, रीवा और बैतूल- में वोट डाले जा रहे हैं. इस सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच पर कांटे की टक्कर है. वर्ष 2014 के आम चुनाव में इन सातों सीटों पर भाजपा का दबदबा था. इस चरण में टीकमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी केंदीय मंत्री वीरेंद्र कुमार मैदान में हैं. उनके लिए चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का विषय है. खुजराहो संसदीय सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री वी डी शर्मा चुनावी मैदान में हैं.
सतना में सांसद गणेश सिंह को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. उनके समक्ष अपनी सीट को बरकरार रखने की चुनौती है. इसी तरह रीवा में जर्नादन मिश्रा को भी बीजेपी ने दोबारा प्रत्याशी बनाया है. उनका मुकाबला भी सीधे कांग्रेस प्रत्याशी से है.
अब देखने वाली यह बात होगी कि बीजेपी के शिवराज चौहान और कांग्रेस के कमलनाथ पर यहां कौन भारी पड़ता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के स्टार प्रचारक बने नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मध्य प्रदेश में ताकत झोंकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी कांग्रेस के खिलाफ दोनों राज्यों में पूरे दमखम से जुटे हैं. राजस्थान की 12 संसदीय सीटों पर हो रहे चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है. राजस्थान में दो केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर है.