बेटे-बहू से अलग रह रहे माता-पिता को घरेलू हिंसा में नहीं बनाया जा सकेगा आरोपी

इंदौर
बुजुर्गों के लिए एक अच्छी खबर है. अब उनसे अलग रह रहे बेटे-बहू की लड़ाई का खमियाजा उन्हें नहीं भुगतना पड़ेगा. बहू-बेटे के विवाद में एक साजिश के तहत आरोपी बनाने बढ़ रहे मामलों को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस बारे में फैसला सुनाया है. दहेज प्रताड़ना के एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यदि बहू-बेटे परिवार से अलग दूसरी जगह पर रहते हैं तो उनके माता-पिता का घरेलू हिंसा से संबंध खत्म हो जाता है.
हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ शिकायत करने वाली महिला के सास-ससुर, देवर और पति के बुजुर्ग दादा-दादी के खिलाफ दर्ज दहेज प्रताड़ना का केस रद कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे में पति को छोड़ अन्य के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करना गलत है. हाईकोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि निचली अदालत में भी पति को छोड़ अन्य परिजन के खिलाफ केस दर्ज कर गलत किया गया है.
घटना के अनुसार इंदौर की रहने वाली रेखा की शादी ग्वालियर के कुलदीप सिंह से हुई थी. शादी के बाद कुलदीप और रेखा दूसरे शहर में जाकर नौकरी करने लगे. दोनों में विवाद हुआ और रेखा पति को छोड़कर मायके में रहने लगी. रेखा ने कुलदीप और उसके पिता महेंद्र प्रताप सिंह, मां मीरा सिंह, दादा-दादी और भाई के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाकर केस दर्ज करा दिया. सभी के खिलाफ निचली अदालत में केस चल रहा था. कुलदीप ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा नियम में लॉ प्वाइंट तय करते हुए फैसला दिया कि परिवार के साथ रहने पर ही घरेलू संबंध स्थापित होते हैं. हाईकोर्ट ने कुलदीप को छोड़ बाकी सभी परिजनों के खिलाफ दर्ज केस को निरस्त कर दिया.