भगवा गढ़ इंदौर में खिसक रही है बीजेपी की जमीन, जानें सभी 9 सीटों का हाल!

भगवा गढ़ इंदौर में खिसक रही है बीजेपी की जमीन, जानें सभी 9 सीटों का हाल!

इंदौर 
मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी  ने भगवा गढ़ इंदौर की नौ में से आठ सीटें जीत थी, लेकिन इस बार उसे यहां कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है. राज्य की आर्थिक राजधानी में पिछले 15 सालों के दौरान बीजेपी की ताकत लगातार बढ़ती दिख रही थी. 2003 में जब बीजेपी पहली बार सत्ता में आई तो इसने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस को दो सीटों से संतोष करना पड़ा था.

वहीं 2008 के विधानसभा में यहां दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. 2008 में बीजेपी को पांच, जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 2013 के चुनाव में अंदरूनी झगड़े में फंसी कांग्रेस को बीजेपी ने जोरदार झटका दिया और लगभग पूरे शहर पर कब्जा जमा लिया. बीजेपी ने इंदौर की नौ में से आठ सीटों पर जीत दर्ज की. 2013 में जीतू पटवारी ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने राऊ सीट से जीत दर्ज की.

हालांकि इस बार सत्ता विरोधी लहर के कारण स्थित उलट दिख रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बीच वर्षों की राजनीतिक कड़वाहट ने यहां टिकट बंटवार को भी प्रभावित किया है. विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश को राजनीति में लाना चाहते हैं और उन्होंने महू यानी इंदौर-2 सीट पर उनके लिए टिकट की मांग की थी. विजयवर्गीय पहले महू से ही विधयाक थे, जबकि इंदौर-2 सीट से उनके करीबी रमेश मेंदोला विधायक हैं.

आकाश को महू से नहीं, बल्कि इंदौर-3 सीट से टिकट मिला है, जहां उनके खिलाफ अश्विनी जोशी चुनाव लड़ रहे हैं. अश्विनी जोशी ने 2003 में बीजेपी के पक्ष में हवा होने के बावजूद जीत हासिल की थी. वहीं सुमित्रा महाजन अपनी करीबी सहयोगी मधु वर्मा को राऊ से टिकट दिलाने में कामयाब रही.

सियासी प्लानिंग में इस अप्रत्याशित बदलाव ने विजयवर्गीय और उनके बेटे को निराश किया है. पार्टी काडर भी यहां उत्साहित नहीं है, क्योंकि 2013 में भारी जीत के बावजूद शिवराज सिंह चौहान ने यहां से जीतकर आए किसी भी नेता को अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी थी.

इसके अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठान वाले इस शहर को नोटबंदी और जीएसटी की बड़ी मार सहनी पड़ी थी, व्यापारी अब भी इन दो झटकों से नाखुश हैं और विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है,

इंदौर की सभी नौ सीट 
इंदौर-1
कांग्रेस ने इस सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता के परिवार से आने वाले संजय शुक्ला को वर्तमान बीजेपी विधायक सुदर्शन गुप्ता के खिलाफ खड़ा किया है. सत्ता विरोधी लहर के कारण गुप्ता को अपनी ही पार्टी के सदस्यों के गुस्से का सामना करना पड़ा था.

इंदौर-2
बीजेपी के रमेश मेंदोल के खिलाफ कांग्रेस ने इस सीट से वकील मोहन सेंगर को खड़ा किया है, जिसके बाद इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. जहां एक तरफ मेंदोल पर निर्वाचन क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तो दूसरी तरफ मोहन सेंगर ने मैरिज हॉल और इंग्लिश स्कूल बनवाने जैसे कई वायदे करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है.

इंदौर-3
इस सीट से बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है, क्योंकि उनके बेटे आकाश यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. विजयवर्गीय ने पहले कहा था कि वह अपने बेटे के लिए प्रचार नहीं करेंगे, लेकिन अब वह दिन-रात एक करके अपने बेटे की जीत सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी जोशी इस सीट पर आकाश के खिलाफ खड़े हैं. जोशी जमीनी नेता माने जाते हैं और उनकी छवि भी अच्छी है, वहीं स्थानीय बीजेपे नेता उनके क्षेत्र में विजयवर्गीय के प्रवेश से खुश नहीं हैं.

इंदौर-4
भगवा लहर के चलते इस निर्वाचन क्षेत्र को इंदौर का अयोध्या कहा जाता है. यहां बीजेपी के टिकट से मेयर मालिनी गौर चुनाव क्षेत्र में हैं, जिनके कार्यकाल में इंदौर को दो बार भारत के सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया. सत्ता विरोधी लहर के बावजूद उनकी सीट सेफ नजर आ रही है. यहां से कांग्रेस के सुरजीत सिंह चड्ढा खड़े हैं.

इंदौर-5
इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां बीजेपी के मौजूदा विधायक महेंद्र हार्दिया और कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल दोनों ही बहुत ही सौहार्दपूर्ण तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं. हार्दिया की क्षेत्र में मजबूत पकड़ को देखते हुए चुनाव में उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है. हालांकि सत्यनारायण पटेल भी इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.

महू
बीजेपी ने इंदौर-3 की विधायक ऊषा ठाकुर को महू से टिकट दिया है, जो मुस्लिमों के खिलाफ अपने उग्र बयान के लिए जानी जाती हैं. वहीं कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता अंतर सिंह दरबार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं, जो स्थानीय लोगों के साथ अच्छे संबंधों के चलते मजबूत नजर आ रहे हैं.

संवेर
इस सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी सहयोगी तुलसीराम सिलवाटा बीजेपी के मौजुदा विधायक राजेश सोनकर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. तुलसीराम सिलवाटा 2013 में चुनाव हार गए थे.

दिपालपुर
बीजेपी की तरफ से इस सीट पर मौजुदा विधायक मनोज पटेल खड़े हैं. उन्हें भी पांच साल तक गायब रहने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक जगदीश पटेल के बेटे विशाल पटेल को टिकट दिया है.

राऊ
राऊ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है. यहां से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी पूर्व इंदौर विकास प्राधिकरण की चेयरमैन मधु वर्मा के खिलाफ खड़े हैं. पूरे राज्य की जिम्मेदारी होने के बावजूद जीतू पटवारी मतदाताओं से संपर्क साधने और प्रचार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.