भावानाओं को काबू में रखकर एकाग्र होना आसान नहीं था: मयंक अग्रवाल

भावानाओं को काबू में रखकर एकाग्र होना आसान नहीं था: मयंक अग्रवाल

मेलबर्न

मयंक अग्रवाल पिछले एक साल से भारत के लिए पदार्पण करने का इंतजार कर रहे थे लेकिन जब उनका यह सपना हकीकत में बदला तो उन पर भावनाएं हावी होने लगी, जिससे कर्नाटक के इस बल्लेबाज के लिए अपने काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो गया। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बुधवार को अपने पदार्पण टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 76 रन की प्रभावी पारी खेलने वाले अग्रवाल ने कहा, 'भारत के लिए पदार्पण करना शानदार अहसास था। जब मुझे कैप मिली तो मुझ पर भावनाएं हावी थी। मैं अपने बाकी जीवन में इसे सहेजकर रखूंगा। पहला विचार नंबर 295 था (अग्रवाल की भारतीय कैप का नंबर)। लेकिन इस मौके पर भावनाएं आप पर हावी हो सकती हैं विशेषकर तब जब आपने ढेरों रन बनाए हों और भारत की ओर से पदार्पण का लंबे समय से इंतजार कर रहे हों।'

अग्रवाल ने कहा, 'भावनाओं को काबू में रखकर एकाग्रता बनाए रखना आसान नहीं था लेकिन ऐसा करने की जरूरत थी। मैं अपनी योजनाओं पर कायम रहा और स्वयं से कहता रहा कि मुझे एक योजना को लागू करना है और मैं इस पर कायम रहूंगा। यह काफी बड़ा अवसर था और मैंने जैसी शुरुआत की उसकी खुशी है।' अग्रवाल को सीनियर खिलाड़ियों ने पदार्पण टेस्ट में छाप छोड़ने की शुभकामनाएं दी जिससे वह काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, 'यह बड़ा मंच और बड़ा मौका है। सीनियर खिलाड़ी मेरे पास आए और बोले कि जितना बड़ा दिन होता है, छाप छोड़ने का उतना ही बड़ा मौका भी होता है।'

अग्रवाल टेस्ट पदार्पण में अर्धशतक जड़ने वाले सिर्फ सातवें भारतीय सलामी बल्लेबाज हैं। उनका यह स्कोर ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर टेस्ट पदार्पण करते हुए भारतीय बल्लेबाजों के बीच सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। उन्होंने कहा, 'मैं खुश हूं लेकिन बेशक मैं अधिक रन बनाना पसंद करता। मैं 76 रन से कम की जगह इतने ही रनों से निश्चित तौर पर संतुष्ट हूं। जैसा कि मैंने कहा मैं और अधिक रन बनाना और दिन के अंत तक नाबाद रहना पसंद करता।' अग्रवाल पिछले एक साल से लगातार भारतीय टीम में जगह बनाने की दौड़ में बने हुए थे और इस दौरान लगातार घरेलू मैचों और ए दौरों पर खेलते रहे जिससे लय बनी रही। इस 27 वर्षीय सलामी बल्लेबाज ने कहा, 'जब मुझे वेस्ट इंडीज के खिलाफ चुना गया तो मैं काफी खुश था। यह मेरे लिए बड़ा लम्हा था। इसके बाद चीजें मेरे हाथ में नहीं थी। मैं खेलूंगा या नहीं या मुझे चुना जाएगा या नहीं, यह मेरे हाथ में नहीं है।'

अग्रवाल को अपने टेस्ट करियर का आगाज एमसीजी पर करने की खुशी है। उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जो भी हुआ और जो भी होगा, मैं काफी विशेष महसूस कर रहा हूं। मैं काफी भाग्यशाली हूं क्योंकि मैंने अपना पदार्पण एमसीजी में किया। प्रत्येक खिलाड़ी को रणजी ट्रोफी में रन बनाने होते हैं। मैंने भी यह किया और इसे लेकर मैं काफी खुश हूं।' अग्रवाल ने कहा, 'मैंने काफी कुछ सीखा। जब आप 5 साल रणजी ट्रोफी खेले हों और भारत के प्रत्येक हिस्से में खेले हों तो आप इससे काफी कुछ सीखते हो। आपको अलग-अलग स्थितियों का सामना करना होता है और यह हमेशा काफी सीखने वाला होता है।'

एमसीजी की सपाट पिच पर असमान उछाल के बारे में पूछने पर अग्रवाल ने कहा, 'मैं पिच के बारे में शिकायत नहीं करूंगा। मुझे लगता है कि यह बल्लेबाजी के लिए अच्छी थी। शुरू में गेंदबाजों को थोड़ी मदद मिल रही थी और पिच धीमी थी। लेकिन लंच के बाद यह थोड़ी तेज हो गई।' भारत ने पहले दिन 2 . 41 रन प्रति ओवर की गति से 2 विकेट पर 215 रन बनाए लेकिन अग्रवाल ने इसका श्रेय घरेलू गेंदबाजों की कसी हुई गेंदबाजी को दिया। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्होंने शानदार गेंदबाजी की। उन्होंने काफी ढीली गेंद नहीं फेंकी, उन्होंने कसी हुई गेंदबाजी की और वे आक्रामक भी थे। इसलिए उन्होंने जिस तरह की गेंदबाजी की उसे देखते हुए मुझे लगता है कि हम अच्छा खेले।'

अग्रवाल ने अपने सलामी जोड़ीदार हनुमा विहारी की भी तारीफ की जिन्होंने रन तो काफी नहीं बनाए लेकिन नई गेंद का सामना करते हुए 66 गेंद खेली। उन्होंने कहा, 'हनुमा विहारी अच्छा खिलाड़ी है। उसने रणजी ट्रोफी में ढेरो रन बनाए हैं। उसने 'ए' टीम की ओर से रन बनाए हैं और तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए तिहरा शतक जड़ा है। वह काफी गेंद खेलने में सफल रहा जो अच्छा है।'