महाशिवरात्रि पर 3 साल बाद बना महासंयोग, धन समृद्धि के लिए लाभकारी

भगवान शिव के विवाह का दिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को माना जाता है। शिवपुराण में इस चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। इस शिवरात्रि में महा इसलिए लगा है क्योंकि शिवरात्रि तो हर महीने में एक बार आती है लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि साल में केवल एक बार आती है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंति यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। इस रात में आध्यात्मिक शक्तियां अधिक जागृत होती हैं इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि इस रात का उपयोग ध्यान, योग, तप और साधना में करना चाहिए। इस वर्ष महाशिवरात्रि 4 मार्च को है। इस अवसर पर कई दुर्लभ संयोग बने हैं ऐसे में इसदिन का महत्व और बढ़ गया है ।
सोमवार को महाशिवरात्रि
इस साल महाशिवरात्रि सोमवार के दिन है जिसे बड़ा ही दुर्लभ माना जाता है। सोमवार का संबंध भगवान शिव और उनके सिर पर विराजमान चंद्रमा से है इसलिए इन्हें सोमनाथ भी कहते हैं। महाशिवरात्रि पर सोमवार होना शिवभक्तों के लिए बहुत ही शुभ है। विवाह योग्य युवक-युवती इस अवसर पर शिवजी का अभिषेक दूध और गंगाजल से करें तो इनके विवाह का योग तेज होगा।
श्रवण नक्षत्र और महाशिवरात्रि का संयोग
महाशिवरात्रि के अवसर पर इस वर्ष नक्षत्रों में श्रेष्ठ श्रवण नक्षत्र का संयोग बना है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और इसका प्रतीक चिह्न भगवान विष्णु के वामन अवतार का चरण चिह्न है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा बहुत ही शुभ फलदायी मानी गई है। धन और सुख की चाह रखने वाले शिवभक्त इस अवसर पर गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें। शिवपुराण के अनुसार इससे समृद्धि और धन वैभव बढ़ता है।
महाशिवरात्रि पर शिवयोग
इस साल महाशिवरात्रि पर सोने पर सुहागा यह भी कि इस दिन शिव योग बना है। शिव योग में शिव की पूजा बहुत ही उत्तम और शुभफलदायी मानी गई है। मोक्ष की चाहत रखने वालों को महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पूजा में दूध में केसर मिलकार अभिषेक करना चाहिए। सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव को अटूट चावल यानी अक्षत अर्पित करना चाहिए इससे आत्मा को भी बल मिलता है और भय से मुक्ति मिलती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में महाशिवरात्रि
इन तीन संयोगों के अलावा चौथा संयोग यह बना है कि इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है जो सभी प्रकार के शुभ कर्मों को सफल बनाने वाला है। इस अवसर पर शिवतांडव स्तोत्र, शिव सहस्रनाम का पाठ कल्याणकारी होगा है। आरोग्य और बाधाओं से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक करवाएं तो इस योग के प्रभाव से आपके कार्य सफल होंगे।