मायावती का आज जन्मदिन, लखनऊ में 63 किलो का काटेंगी केक
लखनऊ
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती का मंगलवार को 63वां जन्मदिन है. कुछ महीनों के बाद लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इसकी वजह से बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर सभी की निगाहें हैं. हर जन्मदिन की तरह इस बार भी मायावती लखनऊ में अपनी ब्लू बुक का विमोचन करेंगी. जबकि सहयोगी दल के नेता उनसे दिल्ली में मुलाकात कर जन्मदिन की बधाई देंगे. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मायावती को बधाई देने उनके आवास पहुंचेंगे.
23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलकर सपा-बसपा ने तीन दिन पहले दोस्ती का हाथ मिलाया है और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव और मायावती के बीच हुई दोस्ती भी पोस्टर और बैनरों में नजर आने लगी है. मायावती के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने के लिए लखनऊ में बसपा कार्यालय के बाहर बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं. दिलचस्प बात ये है कि बसपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सपा कार्यकर्ताओं ने भी मायावती के जन्मदिन पर बधाई के पोस्टर लगाए हैं.
बता दें कि पिछले कई सालों से मायावती का जन्मदिन हर साल 'जन कल्याणकारी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है. इस बार भी सूबे भर के सभी जिलों में बसपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी गरीबों को कपड़े, भोजन और अन्य जरूरी सामान बांटकर जन्मदिवस मनाएंगी.
वहीं, लखनऊ में बसपा मुख्यालय में जन्मदिवस मनाया जाएगा, यहां मायावती 63 किलो का केक काटेंगी. बसपा अध्यक्ष के भाषण को सूबे के सभी जिला मुख्यालय में प्रसारण किया जाएगा. इसके बाद वो लखनऊ से दिल्ली के लिए जाएंगी, जहां सहयोगी दलों के नेता उनसे मुलाकात करेंगे और जन्मदिन की बधाई देंगे.
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. लेकिन ये सीटें कौन सी होंगी, यह अभी तय नहीं हैं. माना जा रहा है कि मायावती जन्मदिन के मौके पर इस बात का ऐलान कर सकती हैं कि उनकी पार्टी किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.
गौरतलब है कि बसपा ने कई राज्यों के क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में मायावती के जन्मदिन समारोह में बसपा के सहयोगी दलों- इंडियन नेशनल लोकदल, सपा, आरजेडी, टीएमसी, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों को न्योता दिया गया है.
हालांकि, सपा-बसपा ने सूबे में कांग्रेस को अपने गठबंधन से अलग रखा है. सपा-बसपा दोनों पार्टियों ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके अलावा 2 सीटें छोटे सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई है. इसके अलावा अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ सपा-बसपा गठबंधन अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया गया है.