लोक अदालत में 5997 लंबित मामलो मे से 335 प्रकरणों का किया मौके पर निराकरण

मन्दसौर
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं मा. जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंदसौर श्री तारकेश्वर सिंह के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय मंदसौर एवं तहसील न्यायालय गरोठ, भानपुरा, नारायणगढ़, सीतामऊ में किया गया।

उक्त आयोजित नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला मुख्यालय पर वैकल्पिक विवाद समाधान केन्द्र ए.डी.आर. भवन मंदसौर के सभाकक्ष में जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंदसौर श्री तारकेश्वर सिंह द्वारा महात्मा गांधी के चित्र पर दीप प्रज्जलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर श्री ओ.पी. श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक श्री मनोज कुमार सिंह, जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री जयदेवसिंह चौहान, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री जगदीशचन्द्र राठौर, प्रभारी लोक अदालत एवं अपर जिला न्यायाधीश श्री अब्दुल कदीर मंसूरी, श्री नरसिंह बघेल, अपर जिला न्यायाधीश, श्रीमती निशा गुप्ता, अपर जिला न्यायाधीश श्री रूपेश गुप्ता, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री एस.के. सूर्यवंशी, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती शबनम कदीर मंसूरी, श्री अनिरूद्ध जैन, श्री सुशील गेहलोत, पीठासीन अधिकारी श्रम न्यायालय श्री एस.के. चौहान, समस्त न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अभिभाषकगण, पक्षकारगण, उपस्थित रहे।
उक्त लोक अदालत में 5997 कोर्ट में लंबित मामले निराकरण के लिए रखे गए थे जिसमें से कुल 335 प्रकरणों का निराकरण किया गया। कुल 5995 प्रीलिटिगेशन रखे प्रकरण में से 2098 प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें 966329 राशि की वसूली की गई। मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा प्रकरण 44 निराकृत किए गए। जिसमें कुल राशि 6398000/-का अवार्ड पारित किया गया। इस लोक अदालत में धारा 138 के अंतर्गत चैक वाउंस के प्रकरण 126 निराकृत किए गए जिसमें कुल राशि रू. 9495594 आपराधिक प्रकरण 08 वैवाहिक प्रकरण 39 श्रम मामले 05 विद्युत मामले 57 का भी निराकरण किया गया है।

उक्त लोक अदालत में मा. जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री तारकेश्वर सिंह ने प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय के कुल 17 प्रकरणों को राजीनामा के आधार पर निराकृत किया। जिसमें नीतेश वि. सोनू में 01 वर्ष से पृथक रह रहे पति-पत्नी को साथ-साथ रहने हेतु राजी किया। इसीतरह फिरोज खान वि. शबनम के प्रकरण में पत्नी गूंगी-बहरी होकर पिछले 1.5 वर्ष से सात वर्षीय पुत्री के साथ रह रही थी जिसमें पति-पत्नी के बीच आपसी राजीनामा कराया गया।