विजेंद्र गुप्ता ने कहा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद लड़ाई के नए मोर्चे तलाशने लगी दिल्ली सरकार

नई दिल्ली 
क्या दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद केंद्र के साथ संघर्ष का रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं है? क्या केजरीवाल सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र के साथ लड़ाई के नए मोर्चे तलाशने में जुट गई है? कम-से-कम बीजेपी को तो यही लग रहा है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 24 घंटों के भीतर ही केजरीवाल सरकार ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दोबारा केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के साथ टकराव का रास्ता अपना लिया है।  
 

गुप्ता और तिवारी का आरोप 
गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने फिर से अधिकारियों को डराना, धमकाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार कानूनी व्यवस्था पर विश्वास रखते हुए उपराज्यपाल के साथ मिलकर लोगों के लिए काम करे। उधर, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी सीएम अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर + इस बात पर दुख जताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के चौबीस घंटों के अंदर ही अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है और इसके लिए वह फिर से एलजी और केंद्र सरकार पर ही दोष मढ़ रहे हैं। 

 
फैसले के बाद उबाल, सामंजस्य के संकेत नहीं 
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सीएम अरविंद केजरीवाल, डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया से लेकर आम आदमी पार्टी तक, हर कोई केंद्र सरकार और एलजी पर तरह-तरह की टिप्पणियां करने में जुटे हैं। सीएम उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखकर 'चिढ़ा' रहे हैं तो डेप्युटी सीएम अधिकारियों को धमकियां दे रहे हैं कि उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) इस फैसले को लगातार केंद्र सरकार के लिए शर्मींदगी का सबब बताने में जुटी है। इस मुद्दे पर पार्टी प्रवक्ता की काफी तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। 

चिट्ठी लिख उपराज्यपाल को 'चिढ़ा रहे' केजरीवाल 
केजरीवाल ने उप राज्यपाल अनिल बैजल को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें किसी मामले में उपराज्यपाल की सहमति की जरूरत नहीं होगी। केजरीवाल ने बैजल के नाम चिट्ठी में लिखा, 'मैं माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए दो फैसलों पर आपका ध्यान खींचना चाहूंगा कि किसी मामले में आपकी सहमति की जरूरत नहीं होगी और सेवाओं से जुड़ी अधिशासी शक्तियां मंत्री परिषद के पास होंगी।'