हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन: भारतीय विदेश मंत्री ने कहा- अफगानिस्तान के लिए जरूरी है ‘दोहरी शांति’
दुशांबे
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हार्ट ऑफ एशिया समिट का आगाज हो चुका है। जिसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर शिरकत कर रहे हैं। बैठक में भारत का पक्ष रखते हुए एस. जयशंकर ने एक बार फिर से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरा तो अफगानिस्तान की शांति पर भी भारत ने बेहद महत्वूर्ण प्वाइंट्स उठाए हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सबसे पहले अफगानिस्तान की शांति को लेकर कहा है कि अफगानिस्तान में दोहरी शांति प्रक्रिया की जरूरत है और अफगानिस्तान में शांति अफगानिस्तान के साथ साथ पड़ोसी देशों के लिहाज से हक में है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति तभी संभव है जब इसके लिए सच्चे दिल से कोशिश की जाए। आपको बता दें कि हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पर सहमति बनाने के लिए करीब 50 देशों के प्रतिनिधि जमा हुए हैं।
ताजिकिस्तान की राजधानी में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए अफगानिस्तान के अंदर और अफगानिस्तान के बाहर भी शांति की जरूरत है। जिसके लिए अफगानिस्तान के भीतर और अफगानिस्तान के बाहर सभी के हितों की आवश्यकता होती है। लिहाजा, अगर अफगानिस्तान में वास्तविक तौर पर शांति लाना है तो इसके लिए सभी देशोँ के प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। आपको बता दें कि अफगानिस्तान की शांति के पक्ष में हमेशा से भारत खड़ा रहा है और भारत सरकार ने ही अफगानिस्तान में संसद का निर्माण कराया था जबकि पाकिस्तान आतंकी संगठन तालिबान को समर्थन देता रहा है।
हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन से पहले भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी मुलाकात की थी। अफगानिस्तान में शांति के लिए की जा रही कोशिशों में भारत बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और अफगानिस्तान भारत को अपना सबसे नजदीकी दोस्त बताता है। इससे पहले पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने भी भारत का दौरा किया था, जहां उनकी मुलाकात भारतीय विदेश मंत्री के अलावा भारत के एनएसए अजित डोवाल से हुई थी। अफगानिस्तान में पिछले 19 सालों से ज्यादा वक्त से युद्ध चल रहा है, जिसमें हजारों लोग मारे गये हैं और अफगानिस्तान के कई हिस्से पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।

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