ईरान से तेल आयात: भारत को यहां हो सकता है डबल फायदा

ईरान से तेल आयात: भारत को यहां हो सकता है डबल फायदा

 नई दिल्ली
अमेरिका ईरान से तेल आयात पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों से भारत को 180 दिनों की मोहलत दे रहा है। अब भारत एक और मोर्चे पर काम कर रहा है जिससे उसे फायदा मिल सकता है। भारत और ईरान एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं जिसके तहत तेल आयात करने के बाद भारत इसका पेमेंट अपने ही देश के बैंक में अपनी मुद्रा रुपये में कर सके। बता दें कि ईरान से संबंध रखने पर अमेरिका के प्रतिबंध सोमवार से प्रभावी हो रहे हैं। 
 
भारत यूको बैंक के एक अकाउंट में पेमेंट की पुरानी व्यवस्था को बहाल करेगा। यूको बैंक का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोजर नहीं हैं इसलिए इसपर प्रतिबंधों का वैसा खतरा नहीं है। इससे पहले ईरान को दो हिस्सों में दो हिस्सों में बांट कर पेमेंट किया जाता रहा है। 45 फीसदी पेमेंट यूको बैंक के खाते में रुपये में किया जाता था, जबकि 55 फीसदी पेमेंट यूरो में होता था। इस बार ईरान सारा पेमेंट रुपये में ही लेगा। 

ईरान के बैंक बैन हुए तब भी हो सकेगा पेमेंट 
ऐसा माना जा रहा है कि ईरान इस पैसे का इस्तेमाल भारत से होने वाले आयात के पेमेंट के लिए करेगा। इसका एक मायने यह भी है कि अगर ईरान के बैंक स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम (इंटरनैशनल पेमेंट सिस्टम) से बैन होते हैं तब भी भारत अपने तेल आयात की पेमेंट करने में सक्षम रहेगा। बता दें कि अमेरिकी प्रतिबंधों का दूसरा चरण ईरान के एनर्जी सेक्टर, शिपिंग, शिपबिल्डिंग और फाइनैंशल सेक्टर पर निशाना साधेगा। 

अमेरिका के एक सीनियर अधिकारी ब्रायन हूक ने पत्रकारों से बात करते हुए इसकी पुष्टि की कि ईरान से तेल आयात जारी रखने वाले देशों को एस्क्रो अकाउंट बनाने पड़ेंगे। उनके मुताबिक एस्क्रो अकाउंट से ईरान को उसकी हार्ड करंसी नहीं मिलेगी और तेल निर्यात से उसे रेवेन्यू भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि ईरान जब भी तेल बेचेगा पेमेंट तेल आयात करने वाले देश के बैंक के एस्क्रो अकाउंट में जाएगा और ईरान को उस पैसे को खर्च करना पड़ेगा।

ईरान को मिलने वाले पैसे पर अमेरिका की बारीक नजर 
हूक ने आगे जोड़ा कि अमेरिका ऐसे देशों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि ईरान उस पैसे को अपने देश के लोगों की भलाई के लिए मानवीय खरीदारी पर खर्च करे। उन्होंने एक तरह से चेताते हुए कहा कि अमेरिका इन अकाउंट्स पर बारीकी से नजर रखेगा। हूक ने कहा कि पिछले प्रशासन से अलग हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह पैसा किसी भी अवैध कामों में न खर्च किया जाए। साथ ही यह भी इन एस्क्रो अकाउंट्स में कोई लीकेज न हो, जिसका फायदा ईरान उठा सके। 

उधर ईरान की न्यूक्लियर डील को बचाने पर काम कर रहा है यूरोपीय यूनियन ईरान की मदद के लिए स्पेशल पर्पज वीकल (SPV) की घोषणा कर सकता है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इसमें कई कठिनाइयां हैं और यह 2019 में ही ऑपरेशनल हो पाएगा। कई यूरोपीय देश इस SUV और इसपर अमेरिकी नाराजगी के खतरे को लेकर एहतियात बरत रहे हैं। भारत के वर्तमान में इस यूरोपीय वैकल्पिक व्यवस्था के साथ नहीं जाने की एक वजह यह भी है। 

भारत को लगता है कि जब यह SPV जब ऑपरेशन हो जाएगा तो यह पेमेंट की दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था बन जाएगा। वहीं अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो अमेरिका दोबारा प्रतिबंधों से राहत नहीं देगा। अमेरिकी अधिकारी हूक ने कहा कि हम काफी सावधानी से तेल की कीमत बढ़े बिना अधिकतक आर्थिक दबाव बना रहे हैं।